NGT का सुझाव, यमुना के ताजे पानी के इस्तेमाल पर सख्ती से लगे रोक
यमुना के अस्तित्व को बचाने के लिए नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से नियुक्त समिति ने ताजे पानी के इस्तेमाल पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। इसे कानूनन अपराध बनाने की सिफारिश की है। इससे न्यूनतम प्रवाह बनाए रखने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली। यमुना के अस्तित्व को बचाने के लिए नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से नियुक्त समिति ने ताजे पानी के इस्तेमाल पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। इसे कानूनन अपराध बनाने की सिफारिश की है। इससे न्यूनतम प्रवाह बनाए रखने में मदद मिलेगी।
‘मैली से निर्मल यमुना पुनरुद्धार योजना, 2017’ को लागू करने के लिए उपाय सुझाने को लेकर एनजीटी ने 13 जनवरी को जल संसाधन मंत्रलय के सचिव शशि शेखर के नेतृत्व में समिति गठित की थी। एनजीटी ने समिति और संबंधित राज्यों (जिनसे होकर यमुना बहती है) से सुझाव मांगे थे।
समिति ने कई सुझाव दिए हैं, जिससे दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में यमुना की सेहत सुधारी जा सके। इसके मुताबिक यमुना नदी के किनारे बसे सभी शहरों के लिए गंदे पानी को शोधित करना अनिवार्य किया जाए। औद्योगिक जरूरतों, रेलवे व बसों की सफाई, अग्निशमन, पार्को की सिंचाई, निर्माण गतिविधियों आदि में इसी पानी का इस्तेमाल करने की बात भी कही गई है।
समिति का कहना है कि इन उद्देश्यों के लिए ताजे पानी के प्रयोग को न केवल प्रतिबंधित किया जाए बल्कि कानून बनाकर इसे अपराध घोषित किया जाना चाहिए। इससे यमुना के पानी के बेजा इस्तेमाल पर अंकुश लग सकेगा। समिति ने हथनीकुंड बैराज से यमुना में पर्याप्त पानी छोड़ने की भी सिफारिश की है, ताकि नदी के प्रवाह को कायम रखा जा सके।
यमुना किनारे स्थित औद्योगिक समूहों के लिए साझा कचरा निस्तारण प्लांट लगाने का भी सुझाव दिया गया है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा भूजल या निगमों की ओर से पानी की आपूर्ति को भी रोकने के लिए कहा गया है। साथ ही खेती के लिए ताजे पानी के प्रयोग पर अंकुश की वकालत की गई है।