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उपहार कांडः नाखुश पीड़ित फैसले के खिलाफ SC में दायर कर सकते हैं याचिका

उपहार सिनेमा अग्निकांड में लापरवाही के दोषी बिल्डर अंसल बंधुओं को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने पर पीड़ित खुश नहीं हैं। पीड़ितों में से एक नीलम कृष्णमूर्ति का कहना है कि अगर हमले फैसले को चुनौती नहीं दी तो इसका गलत संदेश जाएगा। पीड़ित आज फैसले को चुनौती देने वाली

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2015 10:45 AM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2015 11:30 AM (IST)

नई दिल्ली। उपहार सिनेमा अग्निकांड में लापरवाही के दोषी बिल्डर अंसल बंधुओं को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने पर पीड़ित खुश नहीं हैं। पीड़ितों में से एक नीलम कृष्णमूर्ति का कहना है कि अगर हमले फैसले को चुनौती नहीं दी तो इसका गलत संदेश जाएगा। पीड़ित आज फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर कर सकते हैं।

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उपहार अग्निकांड-कब क्या हुआ

गौरतलब है कि कल सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि अंसल बंधुओं को 60 करोड़ रुपये जुर्माना भरने पर आगे की जेल नहीं काटनी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुशील और गोपाल अंसल की सजा 30-30 करोड़ रुपये जुर्माना और काटी जा चुकी जेल तक सीमित कर दी है। सुशील अंसल 5 महीने 20 दिन और गोपाल अंसल 4 महीने 22 दिन की जेल काट चुके हैं।

कोर्ट के फैसले से पीड़ित निराश

अठारह साल पहले अग्निकांड में अपने दो बच्चों को खो चुकीं नीलम कृष्णामूर्ति सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनते ही रो पड़ीं। नीलम भागकर कोर्ट कक्ष से बाहर आयीं और अपना संयम खोकर फफक पड़ीं। उन्हें दोषी लोगों को जेल न पहुंचा पाने की निराशा थी।

नीलम बस एक ही बात दोहरा रही थीं-‘ये कैसा न्याय है। उन्होंने न्याय की आस में अठारह साल अदालत के चक्कर काटे हैं और आज दोषी जुर्माना भरने की शर्त पर जेल काटने से बच गए।’ अदालत के कक्ष के बाहर मार्मिक माहौल था।

वरिष्ठ वकील और आम लोग नीलम को ढांढस बंधा रहे थे, लेकिन नीलम के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। निराशा में घिरी वह उन शब्दों का भी इस्तेमाल कर रही थीं, जिसे अदालत की अवमानना कहा जा सकता था। नीलम ने कहा कि 18 साल पहले जब उनके दोनों बच्चे 13 साल का बेटा और 17 साल की बेटी अग्निकांड में मारे गए तो उनका ईश्वर पर से विश्वास उठ गया था।

पूजा करनी बंद कर दी थी और आज उनका न्यायपालिका से विश्वास उठ गया है। नीलम कहती हैं कि व्यवस्था आरोपी आधारित है, पीड़ित आधारित नहीं। यहां पीड़ित ज्यादा प्रताड़ित होता है। 18 साल से वे न्याय के लिए अदालत के चक्कर लगा रही हैं।

सवा साल से मामला सजा पर सुनवाई को लेकर अटका रहा। आज जब फैसला आया तो अपराधियों की जेल जुर्माना देने पर काटी जा चुकी कैद तक पर्याप्त मान ली गई। नीलम उपहार पीड़ित संघ की अध्यक्ष भी हैं।

सुप्रीम कोर्ट से पीड़ितों को राहत नहीं

सुप्रीम के फैसले को लेकर सीबीआइ के अनुरोध को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इंकार कर दिया। सीबीआइ ने कहा था कि उन्हें 15 मिनट बहस करने का और मौका दिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकते हैं।


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