अब स्वदेशी कपड़ों में ही मिलेगी छात्रों को डिग्री
अब सिल्क व नाइलॉन से बने परिधानों की दीक्षांत समारोह से छुट्टी होने जा रही है। जल्द ही देश में स्वदेशी कपड़ों में डिग्री पाएंगे क्षेत्र। विश्वविद्याल अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विभिन्न विश्वविद्यालय कुलपतियों को पत्र लिखकर कहा-
नई दिल्ली [ शैलेन्द्र सिंह] । अब सिल्क व नाइलॉन से बने परिधानों की दीक्षांत समारोह से छुट्टी होने जा रही है। जल्द ही देश में स्वदेशी कपड़ों में डिग्री पाएंगे क्षेत्र। देश की संस्कृति व पुरातन इतिहास का प्रतीक लुप्त हो रही हैंडलूम इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए दीक्षांत समारोह जैसे विश्वविद्यालय स्तर के आयोजनों में विद्यार्थियों को आरामदायक परिधान मुहैया कराने के लिए अब स्वदेशी कपड़ों का इस्तेमाल होगा।
यहां बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से लगातार हेंडलूम इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और इसमें कार्यरत कारीगरों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास करने पर जोर दिया जा रहा है।
विश्वविद्याल अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विभिन्न विश्वविद्यालय कुलपतियों को पत्र लिखकर कहा है कि वो दीक्षांत समारोह सरीखे कार्यक्रमों में विद्यार्थियों, अधिकारियों व शिक्षकों को गर्मी से राहत देने के लिए हेंडलूम निर्मित कपड़े से बने परिधान को इस्तेमाल करें।
यूजीसी सचिव प्रो.जसपाल एस संधू के अनुसार इस कदम से न सिर्फ हमारे की हेंडलूम इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा बल्कि इसमें कार्यरत लाखों कारीगरों को बेहतर जीविका उपलब्ध होगी। जहां तक इस्तेमाल की बात है तो ये कपड़ा मौजूदा समय में इस्तेमाल में लाये जाने वाले कपड़े से कहीं ज्यादा बेहतर है खासतौर पर गर्मी व उमस भरे मौसम में।
डीयू में किराये पर मंगाये जाते है परिधान
दिल्ली विश्वविद्यालय की बात करें तो यहां दीक्षांत समारोह में पहने जाने वाले परिधानों को किराये पर मंगाया जाता है। इनका किराया 200 से 500 रुपये तक प्रति परिधान के बीच रहता है। परीक्षा विभाग के एक आलाधिकारी ने बताया कि यूजीसी की ओर से आया सुझाव बेहतर है लेकिन इसके लिए अब हमें हेंडलूम निर्मित कपड़े के परिधान तैयार कराने होंगे और इससे आर्थिक बोझ बढ़ेगा।