खुले बाजार में पहुंचीं सैन्य व ईएसआइ अस्पतालों की कैंसर की दवाएं
सैन्य और ईएसआइ अस्पतालों में सप्लाई होने वाली कैंसर की महंगी दवाएं खुले बाजार में बिक रही थीं। इस गोरखधंधे का पर्दाफाश करते हुए पूर्वी जिला पुलिस की एएटीएस (एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वायड) टीम ने दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान ध्रुवनाथ झा और ओमनाथ झा के रूप में हुई है। आरोपित ढाई लाख रुपये तक की दवा महज 40 से 50 हजार रुपये में बेच रहे थे। आरोपितों ने खुद को इंडिया मार्ट जैसी ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनी से रजिस्टर्ड करवा रखा था। पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से 30 लाख रुपये की दवाएं बरामद की हैं।
-ढाई-ढाई लाख रुपये की कीमत वाली दवाओं की हो रही थी 40 से 50 हजार में बिक्री
-पुलिस ने दो भाइयों को किया गिरफ्तार, मामले की तफ्तीश जारी जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : सैन्य और ईएसआइ अस्पतालों में सप्लाई होने वाली कैंसर की महंगी दवाएं खुले बाजार में बिक रही थीं। इस गोरखधंधे का पर्दाफाश करते हुए पूर्वी जिला पुलिस की एएटीएस (एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वायड) टीम ने दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान ध्रुवनाथ झा और ओमनाथ झा के रूप में हुई है। आरोपित ढाई लाख रुपये तक की दवा महज 40 से 50 हजार रुपये में बेच रहे थे। आरोपितों ने खुद को इंडिया मार्ट जैसी ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनी से रजिस्टर्ड करवा रखा था। पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से 30 लाख रुपये की दवाएं बरामद की हैं।
पुलिस उपायुक्त जसमीत सिंह ने बताया कि गत शुक्रवार को जिले के एएटीएस को सूचना मिली कि कुछ लोग सैन्य और ईएसआइ अस्पतालों में सप्लाई होने वाली दवाओं को खुले बाजार में बेचते हैं, जबकि इन दवाओं की खुले बाजार में बिक्री प्रतिबंधित है। मुखबिरों से मिली जानकारी के आधार पर एएटीएस की टीम ने प्रीत विहार स्थित पेट्रोल पंप के पास जाल बिछा दिया। यहां एक आरोपित पीले रंग की स्कूटी पर बैग लेकर पहुंचा। पुलिस ने आरोपित की तलाशी ली तो बैग से दवाओं के पांच पैकेट मिले। इन पर नॉट फॉर सेल (बिक्री के लिए नहीं) लिखा था। तलाशी के दौरान सात और पैकेट आरोपित के पास से बरामद हुए। पूछताछ के दौरान ध्रुवनाथ झा नामक आरोपित ने बताया कि वह अपने छोटे भाई ओमनाथ झा के साथ मिलकर दवाओं का धंधा करता है। इसके बाद उसे भी लक्ष्मीनगर इलाके से गिरफ्तार किया गया। ओमनाथ झा पेशे से फॉर्मासिस्ट है। उसकी दवा की दुकान है। जल्द पैसा कमाने के लालच में उसने अपने भाई ध्रुवनाथ झा के साथ मिलकर सरकारी अस्पतालों में भेजी जाने वाली दवाओं का धंधा शुरू कर दिया। इसके लिए बकायदा लक्ष्मीनगर में एक कार्यालय खोला गया। आरोपितों ने अपना नेटवर्क कई जिलों में फैला रखा था। इनके पास ग्वालियर, मुंबई, चंडीगढ़, लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा के अस्पतालों में सप्लाई होने वाली कैंसर की महंगी दवाएं सस्ते दामों पर पहुंच जाती थी। इन्हें ये खुले बाजार में बेच देते थे। ऑनलाइन भी होती थी बिक्री
आरोपित अपने नेटवर्क के जरिये ढाई-ढाई लाख रुपये की कीमत की कैंसर की दवाएं कम दामों में खरीद लेते थे। बाद में एक विशेष तरह के केमिकल से आरोपित उन दवाओं पर लिखे नॉट फॉर सेल की मुहर को मिटा देते थे, इसे भी पुलिस ने बरामद किया है। आरोपित इन दवाओं को ऑनलाइन भी बेचते थे। इसके साथ संपर्क वाले लोगों के जरिये दवाएं बेची जाती थीं। दवा खरीदने वालों से आरोपित पूछते थे कि उनको बिल वाली दवा चाहिए या बिना बिल वाली। बिना बिल वाली दवा का दाम 40 से 50 हजार रुपये बताते थे, जो करीब ढाई लाख रुपये में मिलती है। कम दाम होने की वजह से लोग भी इनसे ये दवाएं खरीदते थे। अस्पतालों में कैसे लग रही सेंध
जो दवाएं सैन्य और ईएसआइ अस्पतालों में सप्लाई होनी थी, उनकी खुले में बिक्री ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आशंका है कि इस मामले में आरोपितों से पूछताछ के बाद पुलिस कुछ अन्य लोगों की गिरफ्तारी कर सकती है, जो इन दवाओं को आरोपितों तक पहुंचा रहे थे। माना जा रहा है कि सैन्य और ईएसआइ अस्पतालों व डिस्पेंसरियों से जुड़े कुछ कर्मचारी इस गोरखधंधे में शामिल हो सकते हैं। हालांकि दोनों भाइयों ने पूछताछ में किसी अस्पताल के कर्मचारी या अधिकारी का नाम नहीं लिया है। आरोपित बता रहे हैं कि उन्हें अलग-अलग जगहों से लोग दवाएं भेजते थे।