Delhi Triple Murder: तीन माह से चल रही थी सामूहिक आत्महत्या की तैयारी, घर को बनाया गैस चैंबर
Triple suicide in Delhi पुलिस को घर की अलग-अलग दीवारों से 10 पेज के सुसाइड नोट मिले हैं। सुसाइड नोट बड़ी बेटी ने लिखा है जिसमें उसने आर्थिक तंगी बीमारी रिश्तेदारों से दूरी और समाज से अलग-थलग हो जाने को आत्महत्या का कारण बताया है।
नई दिल्ली [अरविंद द्विवेदी]। वसंत विहार में शनिवार को संदिग्ध हालात में दम घुटने से हुई मां व दो बेटियों की मौत कोई हादसा नहीं बल्कि सामूहिक आत्महत्या निकला। घर से मिले 10 पेज के सुसाइड नोट से पता चला है कि मां मंजू (55), बेटी अंकिता (30) और अंशुता (26) पिछले तीन माह से सामूहिक आत्महत्या की तैयारी कर रहे थे। इसमें खलल न पड़े, इसलिए उन्होंने तीन माह पहले अपने किराएदार को भी हटा दिया था।
अलग - अलग दीवार पर मिले सुसाइड नोट
पुलिस को घर की अलग-अलग दीवारों से 10 पेज के सुसाइड नोट मिले हैं। सुसाइड नोट बड़ी बेटी ने लिखा है जिसमें उसने आर्थिक तंगी, बीमारी, रिश्तेदारों से दूरी और समाज से अलग-थलग हो जाने को आत्महत्या का कारण बताया है। आत्महत्या से दो दिन पहले घर को गैस चैंबर में तब्दील करने के लिए कोयला, अंगीठी, सेलो टेप और एल्यूमिनियम फव्याइल आनलाइन मंगवाया था। पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने तीनों के शव उनके रिश्तेदार को सौंप दिए।
बेटी को बनाना चाहते थे सीए
मोर्चरी पर आए मंजू के भतीजे प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि मंजू के पति उमेश श्रीवास्तव मूलरूप से यूपी के मैनपुरी जिले की किसनी तहसील के अर्जुनपुर गांव के रहने वाले थे। वह 1979 में परिवार के साथ दिल्ली आए थे। कई जगह किराए पर रहने के बाद 1994 में वसंत विहार वाले फ्लैट में शिफ्ट हो गए थे। यह फ्लैट मंजू की मां का था। वर्ष- 2017 में उमेश 15 लाख रुपये में गांव का पुश्तैनी घर व खेत गांव के ही एक व्यक्ति को बेच दिया था। उसके बाद से उन्होंने गांव जाना भी बंद कर दिया था। उमेश दिल्ली में लंबे समय से एक सीए के साथ काम कर रहे थे। वह अपनी दोनों बेटियों को भी सीए बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्हें कोचिंग भी करवाई थी। लेकिन उमेश की कोरोना से मौत के बाद बेटियों को भी यह लगने लगा था कि अब उनके जीवन में कुछ बचा नहीं है।
पिता ने ही समाज से काट रखा था
एक पड़ोसी ने बताया कि उमेश अपनी बेटियों को ज्यादा बाहर नहीं निकलने देते थे। इस कारण उनकी किसी से दोस्ती तक नहीं थी। पूरे मोहल्ले में इस परिवार की किसी से बातचीत तक नहीं थी। आठवीं तक अंशुता के सहपाठी रहे एक युवक ने बताया कि स्कूल में भी दोनों बहनें किसी से बात नहीं करती थीं। युवक ने बताया कि उनके घर के दरवाजे हमेशा बंद ही रहते थे। पिता की मौत के बाद से तो ये लोग जैसे घर में कैद होकर रह गए थे। एक पड़ोसी ने बताया कि कोरोना के दौरान परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। वर्ष- 2021 में उमेश की मौत हो गई। तब स्थानीय निगम पार्षद मनीष अग्रवाल ने आसपास के लोगों की मदद से अंतिम संस्कार करवाया था और अंकिता ने मुखाग्नि दी थी। दोनों बेटियों को पिता से बहुत लगाव था इसलिए उनकी मौत से पूरा परिवार अवसाद की चपेट में आ गया।
आत्महत्या करने के लिए किराएदार को हटाया
सुसाइड नोट में लिखा गया है कि तीन माह पहले उन्होंने घरेलू सहायिका को हटा दिया था और घर का दूध बंद करवा दिया था ताकि आत्महत्या की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। मंजू के एक-दूसरे से सटे हुए दो फ्लैट हैं। एक फ्लैट उन्होंने 16 हजार रुपये प्रतिमाह किराए पर दे रखा था। तीन माह पहले उन्होंने यह फ्लैट इसलिए खाली करवा लिया था कि जब वह आत्महत्या करें तो अगर घर में आग भी लग जाए तो किराएदार को कोई जान-माल का नुकसान न हो। अंकिता आनलाइन मार्केटिंग का कुछ काम भी करती थी जिससे उसकी कुछ आय हो जाती थी। हालांकि इससे परिवार का खर्च नहीं चल पा रहा था, क्योंकि तीन माह से फ्लैट का किराया भी नहीं मिल रहा था। एक सुसाइड नोट में लिखा है कि उनके मरने के बाद घर का सारा सामान घरेलू सहायिका कमला को दे दिया जाए। अगर वह सामान न ले तो यह सामान किसी भी गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को दे दिया जाए।