द्वारका में ट्रांसप्लांट किए गए 20 फीसद पेड़ सूखे
फोटो संख्या 20 यूटीएम 234 द्वारका सेक्टर दस में ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों पर ठेकेदार एजेंसी व डीडीए के बीच है तनातनी
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : स्वच्छ पर्यावरण व विकास की गति के बीच बेहतर समन्वय बनाने के लिए पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की नीति पर केंद्र व राज्य सरकार की ओर से अमल किया जा रहा है, लेकिन ट्रांसप्लांट करने के तरीके व संबंधित एजेंसियों की लापरवाही के कारण इसके सौ फीसद परिणाम मिलने अभी शेष हैं। ताजा मामले में द्वारका एक्सप्रेस वे निर्माण के दौरान ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से अभी तक बीस फीसद पेड़ सूख चुके हैं, वहीं अन्य पेड़ों पर भी सूखने का खतरा मंडरा रहा है। अगर हालात में सुधार नहीं हुआ तो आनेवाले दिनों में बीस फीसद का आंकड़ा बढ़ सकता है, जो कि दिनोदिन बढ़ते प्रदूषण के बीच पर्यावरण के लिए खतरा बनकर सामने आएगा।
एक वर्ष पूर्व द्वारका सेक्टर 11, 12,19, 20, 23 और सेक्टर 24 में 38 सौ पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया था। कुछ समय तक इन पेड़ों का रखरखाव किया गया, लेकिन बाद में लापरवाही के कारण ये पेड़ सूखने लगे। लॉकडाउन के दौरान इन पेड़ों के सूखने का सिलसिला तेज हो गया था। एक अनुमान के मुताबिक करीब साढ़े सात सौ पौधे अभी तक सूख चुके हैं। वहीं, द्वारका सेक्टर दस में ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की बात करें तो ठेकेदार एजेंसी व डीडीए के बीच तनातनी के कारण यहां के पेड़ सूखने लगे हैं। यहां पर डीडीए के एक प्लॉट में ढाई सौ पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया, लेकिन डीडीए द्वारा पानी उपलब्ध नहीं कराने के कारण ये पेड़ सूखने लगे हैं। ठेकेदार एजेंसी जेकुमार का कहना है कि डीडीए की सहमति के बाद इन पेड़ों को यहां पर ट्रांसप्लांट किया गया वहीं, डीडीए अधिकारियों का कहना है कि यह प्लॉट कमर्शियल उपयोग के लिए है। यहां पर जबर्दस्ती पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया है। इस कारण डीडीए पानी नहीं देगा।
दैनिक जागरण से बातचीत में जेकुमार कंपनी के उप-परियोजना अधिकारी ओएस सिरोही ने कहा कि मानसून के पहले और मानसून के बाद ज्यादा ठंड और ज्यादा गर्मी होने की वजह से कुछ पेड़ों को नहीं बचाया जा सका। फिर भी सौ फीसद पेड़ों में 80 फीसद पेड़ हरे हो गए हैं। 20 फीसद सूख गए, लेकिन सेक्टर 10 में जिन पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया है। उसकी सिचाई के लिए डीडीए से पानी मांग रहे हैं अगर डीडीए ने पानी नहीं दिया तो यहां पर यह संतुलन जरूर गड़बड़ा सकता है।
15 से 20 वर्ष पुराने हैं पेड़
पर्यावरणविद दीवान सिंह ने बताया कि द्वारका इलाके में ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में पर्यावरण को शुद्ध रखने शीशम, नीम, पीपल, अर्जुन, फलदार पेड़ अमरूद, सख्त लकड़ी के तौर पर उपयोग होनेवाले पॉलोनिया, स्कारलेट बुश जैसे औषधीय पौधे भी ट्रांसप्लांट किए गए। ये पेड़ 15 से 20 वर्ष पुराने हैं। ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में कई में दीमक लग गए हैं ऐसे में अगर दवाई नहीं दी गई तो इन पेड़ों को सूखने से कोई नहीं रोक सकता है। साथ ही इन पेड़ों की नियमित देखभाल भी जरूरी है। पर्यावरण को स्वच्छ रखना है तो हमें इन पेड़ों को बचाना ही होगा।
दिल्ली सरकार ने भी की पहल
इसी महीने दिल्ली सरकार ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी को मंजूरी दी है। इसके तहत अब किसी भी प्रोजेक्ट में आनेवाले 80 फीसद पेड़ को ट्रांसप्लांट करना अनिवार्य होगा। ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से 80 फीसद से कम पेड़ों के जीवित रहने पर संबंधित एजेंसी को होने वाले भुगतान में कटौती की जाएगी।
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दस वर्ष से ज्यादा उम्र के पेड़ों का ट्रांसप्लांट करने के लिए छह महीने पहले से ही तैयारी करनी होती है, तभी ये पेड़ जीवित रह सकते हैं। ट्रांसप्लांट से पहले इन पेड़ों का उपचार किया जाना चाहिए। इसके बाद ही इन्हें एक जगह से दूसरी जगह पर लगाना चाहिए।
डॉ फैयाज खुदसर, पर्यावरणविद