वाजिब हिस्सा मिलता तो नहीं थी ऋण लेने की जरूरत : निर्मल जैन
महापौर निर्मल जैन का कहना है कि अगर दिल्ली सरकार से पूर्वी निगम को कर राजस्व में वाजिब हिस्सा मिलता तो उसे ऋण लेने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा निगमों के बकाये फंड के संबंध में हाल ही में भेजे गए पत्र को अर्द्धसत्य से पूर्ण व भ्रामक बताया है।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :
महापौर निर्मल जैन का कहना है कि अगर दिल्ली सरकार से पूर्वी निगम को कर राजस्व में वाजिब हिस्सा मिलता तो उसे ऋण लेने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा निगमों के बकाये फंड के संबंध में हाल ही में भेजे गए पत्र को अर्द्धसत्य से पूर्ण व भ्रामक बताया है। जैन ने उपमुख्यमंत्री को भेजे जवाबी पत्र में कहा है कि अगर दिल्ली सरकार पूर्वी निगम को उसका कर राजस्व का हिस्सा देती तो उसे दिल्ली सरकार से ऋण लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
जैन ने लिखा है कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने अपने गठन के शुरुआती दिनों में कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए ऋण लिया था, क्योंकि दिल्ली सरकार ने अपने ही द्वारा गठित चतुर्थ वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया था। यही नहीं, वित्त आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कि राज्य सरकार एकीकृत नगर निगम को दिए गए ऋणों को माफ कर दे और तीन निगमों को विभाजन के बाद नए वित्तीय रूप में शुरुआत करने दें। दिल्ली सरकार पर पूर्वी दिल्ली नगर निगम का कुल 4,670.88 करोड़ रुपये बकाया है जिसका अतिशीघ्र भुगतान होना चाहिए। महापौर ने यह भी कहा है कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा बीते साल समय से कर्मचारियों का वेतन जारी किया गया था। लेकिन इस वर्ष दिल्ली सरकार द्वारा फंड जारी न होने के चलते निगम अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं कर पा रहा है।