आई मानसून की बारी, पौधरोपण की शुरू तैयारी
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जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : मानसून के पहले इलाके के पार्को और सड़क के किनारे एक बार फिर से बड़े पैमाने पर पौधरोपण की तैयारी शुरू हो गई। सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर गैर सरकारी संस्थाएं और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने अपने-अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। बैठकों का दौर शुरू हो गया है। इलाके की अधिकांश गैर संस्थाएं और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन हर साल मानसून के दौरान भारी संख्या में पौधरोपण करती है। इनके लिए पौधे उपलब्ध कराने में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी हरसंभव मदद करते रहे हैं।
कांगनहेड़ी गांव निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता दीपक भारद्वाज एक बार फिर से अपने गांव की बंजर जमीन को हरा-भरा करने में जुट गए हैं। दीपक बताते हैं कि गैर सरकारी संगठन राइज फाउंडेशन के साथ मिलकर एक-दो दिन में पौधरोपण शुरू कर दिया जाएगा।
प्रकृति भक्त संस्था के अध्यक्ष राजेश शर्मा का कहना है कि प्रकृति भक्त के सदस्यों ने पौधरोपण के लिए जमीन तलाशने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए पौधे भी मंगाए जा रहे हैं। इन दिनों स्कूल बंद हैं, फिर भी कोशिश होगी कि स्कूलों में पौधरोपण किया जाए।
काउंसिल ऑफ वेस्ट दिल्ली रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन राघवेंद्र शुक्ला कहते हैं कि मानसून के दौरान पार्को को विकसित करने के लिए दिल्ली मार्निग एसोसिएशन, दिल्ली स्टेट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, फेडरेशन ऑफ आरडब्लूए हस्तसाल, फेडरेशन ऑफ ग्रुप हाउसिग सोसायटी, गैर सरकारी संगठन एक पहचान और पीएलपी नेशन फर्स्ट के सदस्यों के साथ शनिवार को ऑनलाइन बैठक कर सुझाव मांगे गए हैं। ये सुझाव नगर निगम, लोकनिर्माण विभाग, दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को भेजे जाएंगे।
दैनिक जागरण से बातचीत में ईशापुर वार्ड की पार्षद व निगम नजफगढ़ जोन की नवनियुक्त चेयरमैन सुमन डागर का कहना है कि अभी तक वार्ड में पौधे वितरित होता रहा है। साथ में पौधरोपण भी होता रहा है। इस बार भी मानसून के दौरान पौधरोपण किया जाएगा। नजफगढ़ जोन में पौधे लगाने के लिए समाजिक संस्थाओं, गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा गांव के लोगों के बीच पौधे वितरित किए जाएंगे।
उज्जवा कृषि संस्थान के कोऑर्डीनेटर राकेश सिंह का कहा कि पौधे लगाने के दौरान शारीरिक दूरी का ध्यान दिया जाना चाहिए। सड़क किनारे पौधों के बीच की दूरी पांच मीटर, बागानों में फलदार पौधे लगाने के दौरान यह दूरी सात से आठ मीटर होनी चाहिए। इससे जब पौधे पेड़ की शक्ल अख्तियार करेंगे, तब इनकी शाखाएं आपस में नहीं टकराएंगी।