महामारी के मायाजाल से 'आधा हुआ खजाना'
राजधानी में महामारी का मायाजाल बढ़ता ही जा रहा है। इससे दिल्लीवासियों को बचाने में एक तरफ जहां दिल्ली सरकार का खजाना तेजी से खाली हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ टैक्स वसूली भी उम्मीद से भी ज्यादा कम हो रही है।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली
राजधानी में महामारी का मायाजाल बढ़ता ही जा रहा है। इससे दिल्लीवासियों को बचाने में एक तरफ जहां दिल्ली सरकार का खजाना तेजी से खाली हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ टैक्स वसूली भी उम्मीद से भी ज्यादा कम हो रही है। आलम यह है कि पिछले साल की तुलना में इस साल की प्रथम तिमाही में दिल्ली सरकार को आधा भी टैक्स नहीं मिला है। इसकी एक बड़ी वजह डीजल का महंगा होना भी मानी जा रही है। दरअसल इसकी वजह से वाहन चालक दिल्ली के बजाय एनसीआर के शहरों से तेल खरीद रहे हैं।
दिल्ली में टैक्स वसूली पर कोरोना का असर साफ दिख रहा है। पिछले साल की अपेक्षा इस बार प्रथम तिमाही में आधी भी वसूली नहीं हो सकी है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक अप्रैल से 30 जून तक जीएसटी व वैट को मिलाकर टैक्स की कुल वसूली 6136 करोड़ रुपये हुई थी, जो इस बार 2958 करोड़ ही रह गई। बात अगर सिर्फ जून महीने की करें तो 2019 में जहां 1953 करोड़ राजस्व मिला था, वहीं इस वर्ष 850 करोड़ ही मिले हैं।
टैक्स से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि मार्च के महीने में सबसे ज्यादा राजस्व की वसूली होती है, लेकिन इस बार मार्च 2019 की तुलना में 12 फीसद कम टैक्स मिला है। यही नहीं फरवरी 2020 की तुलना में भी मार्च में 14 फीसद की कमी आई है। मार्च 2020 में लगभग 1,630 करोड़ रुपये जीएसटी से मिले हैं, जबकि मार्च 2019 में 1,860 करोड़ रुपये मिले थे। इससे ज्यादा 1,918 करोड़ रुपये फरवरी 2020 में वसूली हुई है।
इससे वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी दिल्ली सरकार का जीएसटी वसूली के लिए निर्धारित लक्ष्य 23 हजार करोड़ रुपये पूरा नहीं हो सका। इसमें दिल्ली सरकार को जीएसटी और वैट से करीब 22 हजार 85 करोड़ रुपये मिले है। यह वित्तीय वर्ष 2018-19 में आए 19 हजार 920 करोड़ रुपये से 11 फीसद ज्यादा जरूर है, लेकिन निर्धारित लक्ष्य से कम है।