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भूषण स्टील के पूर्व सीएफओ को वीडियो कान्फ्रेंस की अनुमति

धोखाधड़ी के मामले में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) द्वारा गिरफ्तार किए गए भूषण स्टील के पूर्व-सीएफओ नितिन जौहरी को सप्ताह में दो दिन अपने अधिवक्ता से बात करने की अनुमति दिल्ली हाई कोर्ट ने दे दी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 01:54 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 01:54 AM (IST)
भूषण स्टील के पूर्व सीएफओ को वीडियो कान्फ्रेंस की अनुमति
भूषण स्टील के पूर्व सीएफओ को वीडियो कान्फ्रेंस की अनुमति

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

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धोखाधड़ी के मामले में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) द्वारा गिरफ्तार किए गए भूषण स्टील के पूर्व-सीएफओ नितिन जौहरी को सप्ताह में दो दिन अपने अधिवक्ता से बात करने की अनुमति दिल्ली हाई कोर्ट ने दे दी है। नितिन जौहरी ने जमानत देने से इन्कार करने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है। याचिका के संबंध में अधिवक्ता व परिजन से आधे घंटे के लिए दो बार वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये बात करने की अनुमति मांगी है। एसएलपी पर छह जुलाई को सुनवाई होगी।

न्यायमूíत विभू बाखरू की पीठ ने तिहाड़ जेल को छह जुलाई से पहले दो वीडियो कान्फ्रेंस कराने का निर्देश दिया। याचिका पर अगली सुनवाई दस जुलाई को होगी। नितिन ने कहा कि जेल नियम के अनुसार उन्हें सप्ताह में दो बार अपने अधिवक्ता से बात करने का अधिकार है। हालांकि, कोराना महामारी के कारण जेल मे बातचीत पर तीन महीने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। इसके कारण वह अपनी पत्नी व बच्चों से नहीं मिल सके हैं।

सुनवाई के दौरान स्टैंडिग काउंसल राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि इस बाबत एक याचिका अन्य पीठ के समक्ष लंबित है। उन्होंने कहा कि एसएलपी के संबंध में जौहरी को अधिवक्ता से बात करने के लिए एक वीडियो कान्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि, हाई कोर्ट ने जौहरी को दो वीडियो कान्फ्रेंस करने की अनुमति दे दी। मई, 2019 में किया गया जौहरी को गिरफ्तार

एसएफआइओ ने नितिन जौहरी को 2 मई 2019 को गिरफ्तार किया था। जौहरी को कई बैंकों में फर्जी दस्तावेज जमा करने समेत अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह भूषण स्टील के मामलों और बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों से फंड जुटाने के मामलों को देख रहे थे। जौहरी 2016-17 तक कंपनी के वित्तीय कारोबार पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल थे। एसएफआइओ की जांच में पाया गया कि जौहरी के कार्यकाल के दौरान कंपनी में कई गड़बड़ियां हुई हैं। इसमें खातों और वित्तीय लेखा-जोखा में गड़बड़ी के अलावा बढ़ा-चढ़ाकर माल भंडार दिखाना शामिल है, ताकि अधिक कार्यशील पूंजी ली जा सके।


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