Move to Jagran APP

लाखों खर्च के बाद भी इस तकनीक से लैस नहीं हो सके हैं दिल्ली के अस्पताल

सोलर सिस्टम के नाम पर अब तक लाखो रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन राजधानी के सभी अस्पतालोंं मेंं यह सिस्टम चालू नहींं हो सका है।

By Amit MishraEdited By: Published: Fri, 03 Jun 2016 07:45 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jun 2016 07:00 AM (IST)
लाखों खर्च के बाद भी इस तकनीक से लैस नहीं हो सके हैं दिल्ली के अस्पताल

नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। लाखो रुपये खर्च करने के बाद भी राजधानी के सभी अस्पतालोंं मेंं सोलर सिस्टम चालू नहींं हो सका है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक राजधानी के एकमात्र अस्पताल में इस सिस्टम को चालू किया गया है। उत्तरी दिल्ली के पूंठ खुर्द स्थित महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में सोलर सिस्टम की शुरुआत हो चुकी है।

loksabha election banner

गौरतलब है कि बिजली की बचत के मद्देनजर सोलर सिस्टम लगाने का फैसला दिल्ली सरकार ने लिया था। लेकिन, जमीनी हकीकत में इसका क्रियान्वयन बेहद लचर रहा है। यही वजह है कि राजधानी के कुल 38 अस्पतालोंं में से सिर्फ एक में ही इसकी शुरुआत हो पाई है।

कंझावला के निवासी संजय डबास द्वारा लगाई गई आरटीआइ में इस सिस्टम के बारे में पूछे जाने पर जानकारी दी गई है। इसमें महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में इस सिस्टम के चालू होने अलावा कुछ अन्य जानकारियां भी दी गईं, जिसके तहत यह बताया गया है कि जहांगीर पुरी के बाबू जगजीवन राम अस्पताल में इस सिस्टम पर अस्थाई रोक लगा दी गई। इसके अलावा मोती नगर स्थित आचार्य भीकसू अस्पताल में इस सिस्टम को लेकर 14,98,322 रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन अभी इसे चालू नहींं किया गया है। इस लागत में अलग-अलग उपकरणोंं की कीमत का विवरण भी सूचना में संलग्न किया गया है। हालांकि, इसका जवाब सूचना के अधिकार में नही दिया गया, लेकिन इससे इस बात का अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि सभी अस्पतालोंं में सोलर सिस्टम में कितनी बड़ी धनराशी खर्च की गई होगी, जो व्यर्थ साबित हो रही है।

सोलर सिस्टम के हैं कई लाभ
महर्षि वाल्मीकि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के मुताबिक सोलर संयत्र से 25- 30 फीसद बिजली की बचत हो रही है। जहां सूरज की कीरणें पर्याप्त मिलती हैं, वहां यह अधिक प्रभावी रूप से कार्य करता है। प्रतिदिन इससे उत्पादित बिजली से 6-8 घंटे की बिजली स्टोरेज की जा सकती है। कभी-कभी यह 10-12 घंटे के लिए भी होती है। आवासीय क्षेत्र और हॉस्टल में भी इससे बिजली आपूर्ति की जाती है। बिजली की कमी होने पर इसे हमेशा विकल्प के रूप में रखा जाता है। इससे जेनरेटर की आवश्यकता नहींं पड़ती। बिजली की बचत के साथ इससे प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.