एक साथ बैठकर खाना बन सकता है कोरोना का कारण : गुलेरिया
लॉकडाउन में रियायतों के साथ दफ्तरों में कामकाज व औद्योगिक गतिविधियां बढ रही है। सडकों पर वाहनों व लोगों की आवाजाही बढ चुकी है। इस बीच एम्?स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने अपने एक बयान में कहा है कि ऑफिस औद्योगिक इकाईयों या किसी भी जगह कामकाज के साथ-साथ कोरोना से बचाव के लिए शारीरिक दूरी बार-बार हाथ धोने किसी से हाथ नहीं मिलाने किसी को खांसी बुखार व तबीयत खराब होने पर घर पर ही रहने के नियमों का पालन सुनिश्?चित करना होगा। इन नियमों के पालन में लापरवाही कोरोना के मामले बढने और समुदायिक संक्रमण का कारण बन सकते हैं। ऑफिस में या किसी भी जगह लोगों को एक साथ बैठकर खाने से भी परहेज करना चाहिए। एक साथ कई लोगों के बैठकर खाने से भी संक्रमण हो सकता है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली
लॉकडाउन में रियायतों के साथ दफ्तरों में कामकाज व औद्योगिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। सड़कों पर वाहनों व लोगों की आवाजाही बढ़ चुकी है। इस बीच एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने अपने एक बयान में कहा है कि ऑफिस, औद्योगिक इकाइयों या किसी भी जगह कामकाज के साथ-साथ शारीरिक दूरी, बार-बार हाथ धोने, किसी से हाथ नहीं मिलाने, किसी को खांसी, बुखार व तबीयत खराब होने पर घर पर ही रहने के नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा। इन नियमों के पालन में लापरवाही कोरोना के मामले बढ़ने और सामुदायिक संक्रमण का कारण बन सकते हैं। ऑफिस में या किसी भी जगह लोगों को एक साथ बैठकर खाने से भी परहेज करना चाहिए। एक साथ कई लोगों के बैठकर खाने से भी संक्रमण हो सकता है।
उन्होंने कहा कि दफ्तरों में अक्सर लोगों की आदत होती है एक साथ बैठकर खाना खाने की। एम्स में भी कोरोना से पीडि़त होने वाले ज्यादातर स्वास्थ्य कर्मी इस वजह से संक्रमित हुए। एक तो वे जहां रहते थे वहां संक्रमण फैला था। कर्मचारी मास्क हटाकर एक साथ बैठते हैं, एक साथ खाना खाते हैं। यह गलत आदत है। पुलिस व अर्धसैनिक बल के जवान भी किसी से मुलाकात के बाद हाथ सैनिटाइज करें या हाथ धोएं। क्योंकि यह मानकर चलना होगा कि वे जिससे मिल रहे हैं वे संक्रमित हो सकते हैं। यदि इन नियमों का पालन ठीक से नहीं किया गया तो अभी कोरोना का संक्रमण जिस स्टेज में है उससे मामले बढ़ सकते हैं। इससे अस्पतालों में मरीजों के दाखिले और मौत के मामले भी बढें़गे।
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हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन शुरुआती संक्रमण को रोकने में कारगर
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन (एचसीक्यू) की लैब व अस्पतालों में अब तक हुए क्लीनिकल ट्रायल के आंकडे़ साबित करते हैं कि यदि यह दवा शुरुआत में ही दी जाए तो वह वायरस के संक्रमण को बढ़ने नहीं देता है। एक बार संक्रमण अधिक बढ़ने पर इस दवा का खास असर नहीं होता। इसलिए एचसीक्यू प्रोफाइलेक्सिस (बचाव के लिए दी जाने वाली दवा) के रूप में दी जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की चिता दवा की सेफ्टी को लेकर है। उन्होंने कहा कि यह दवा 20 सालों से देश में इस्तेमाल होती रही है। उन्होंने खुद इस दवा का इस्तेमाल किया है। एम्स में यह देखा गया है कि जिन स्वास्थ्य कर्मियों ने यह दवा ली उनमें से बहुत कम लोग कोरोना से पीडि़त हुए। जिन्होंने दवा नहीं ली उनमें अधिक संक्रमण देखा गया है। उन्होंने कहा कि यदि पहले से दिल की कोई परेशानी नहीं है तो सतर्कता के साथ यह दवा ली जा सकती है।