Delhi Kidney Racket News: 10वीं पास ओटी टेक्नीशियन करता था किडनी ट्रांसप्लांट, 70 लाख रुपये तक वसूल लेते थे पीड़ित से
आरोपित कुलदीप ने बताया कि वह अब तक करीब दो दर्जन आपरेशन कर चुका है और सभी सफल रहे हैं। इसी कारण उसका रैकेट इतने दिन तक चलता रहा। पुलिस को पता चला है कि इस धंधे से इस गिरोह ने छह-सात करोड़ रुपये का लेनदेन किया है।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। दक्षिण दिल्ली के हौजखास थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किडनी रैकेट के आरोपितों से पूछताछ में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। दिल्ली पुलिस को पता चला है कि गिरोह का सरगना कुलदीप रे विश्वकर्मा सिर्फ 10वीं पास है। उसके पास ओटी (आपरेशन थिएटर) टेक्नीशियन का डिप्लोमा है, लेकिन इसके बावजूद सभी आपरेशन वह खुद करता था।
कुलदीप रे ने विभिन्न अस्पतालों में यूरोलाजी के ओटी में बतौर टेक्नीशियन काम किया है। इस दौरान देख-देखकर उसने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आपरेशन करना सीख लिया। पुलिस अभी तक ऐसे चार लोगों तक पहुंच गई है जिन्होंने या तो किडनी ली या दी है। इन सबके आपरेशन कुलदीप ने ही किए थे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि अभी इस मामले में और भी लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं। आरोपितों ने कई शहरों में जाल फैला रखा है।
आरोपित कुलदीप ने बताया कि उसने ओटी टेक्नीशयन की नौकरी के दौरान 20 साल में सैकड़ों आपरेशन देखे हैं। उसने यूरोलाजी के ओटी में ही ज्यादातर समय तक काम किया है। इसलिए वह यूरोलाजी से संबंधित कोई भी आपरेशन आसानी से कर सकता है।
किडनी रैकेट का सुराग लगने पर दक्षिणी जिले की पुलिस उपायुक्त बेनिता मेरी जैकर ने एसीपी हौजखास वीर सिंह की देखरेख और हौजखास थाने की एसएचओ इंस्पेक्टर शिवानी सिंह के नेतृत्व में इंस्पेक्टर भरतलाल, इंस्पेक्टर रोहित, एसआइ दीपक, एसआइ धरम सिंह, एसआइ रमेश, महिला एसआइ अर्चना व रिया, एएसआइ दिनेश, हेडकांस्टेबल शेर सिंह, कांस्टेबल नरेश, विकास, राकेश, अश्विनी और बजरंग की टीम बनाई। गिरोह को बेनकाब करने के लिए पुलिसकर्मियों की टीम करीब एक सप्ताह से काम कर रही थी।
किडनी के धंधे में लगाया नेटवर्क मार्केटिंग का कांसेप्ट
कुलदीप ने बताया कि उसने अपना कारोबार फैलाने के लिए नेटवर्क मार्केटिंग का कांसेप्ट अपनाया। एक बार किसी ने उसके रैकेट के जरिये किडनी बेची या खरीदी, तो वह उसे अपने रैकेट का एजेंट बना लेता था। इस तरह उसका कारोबार बढ़ता गया। किडनी बेचने वाले से कहता था कि तुम अपनी किडनी तो बेच चुके। अब और पैसे कमाने हैं तो अपने जैसे और जरूरतमंदों की तलाश करो जो अपनी किडनी बेचकर पैसे कमाना चाहते हैं। एक डोनर लाने पर वह 50 हजार रुपये का बोनस देता था। वहीं, किडनी खरीदारों को भी यही लालच देता था।
गुरुद्वारा, रैनबसेरा, अस्पतालों के रैनबसेरा, धर्मशाला आदि में ठहरे गरीब और जरूरतमंद लोगों से संपर्क कर कुलदीप के एजेंट अपने टारगेट खोजते थे। यहां मिलने वाले जरूरतमंदों को पैसों का लालच देकर उन्हें किडनी बेचने के लिए तैयार करते थे। ये लोग प्लेसमेंट एजेंसियों से भी उन लोगों का डाटा खरीदते थे जो नौकरी की तलाश में वहां रजिस्ट्रेशन करवाते थे। फिर उनसे संपर्क कर उन्हें पैसे कमाने का लालच देकर अपने रैकेट में शामिल करते थे। वहीं, किडनी रिसीवर को भी ये लोग आगे संपर्क देने या ग्राहक दिलाने के बदले में पांच लाख रुपये तक का कमीशन देते थे।
पुलिस ने बताया कि कुलदीप को मेडिकल के क्षेत्र में, खासकर यूरोलाजी और किडनी आदि के बारे में इतनी जानकारी है कि डाक्टर भी उसके सामने हीन-भाव से ग्रस्त हो जाते थे। अपने ज्ञान के दम पर ही वह ओटी में आपरेशन के दौरान डाक्टर के काम में हस्तक्षेप करता था। इस कारण कुछ डाक्टरों से तो उसकी जरूर बनती थी, लेकिन ज्यादातर डाक्टर उससे परेशान हो जाते थे। इस कारण अक्सर उसे अपनी ओटी से हटा देते थे। पुलिस को पूछताछ में कुलदीप ने बताया कि उसे लगता था कि जब आपरेशन करने वाले डाक्टरों से ज्यादा जानकारी उसे खुद है, तो वह टेक्नीशियन का काम क्यों करे। इसलिए उसने किडनी का काला कारोबार शुरू किया। कुलदीप चिकनी-चुपड़ी बातें करने में इतना माहिर है कि पांच-10 मिनट की बातचीत में ही सामने वाले को अपने जाल में फंसा लेता है।
कुलदीप के आगे डाक्टर भी हो जाते थे हीन भावना के शिकार
कुलदीप ने बताया कि उसने कई अस्पतालों में काम किया है, इसलिए बहुत सारे लोगों से उसकी जान-पहचान है। इन्हीं लोगों की मदद से वह उन लोगों तक पहुंच बनाता था जिन्हें किडनी की जरूरत होती थी। किडनी रिसीवर से वह 40 से 70 लाख रुपये लेता था, वहीं डोनर को सिर्फ तीन से पांच लाख रुपये देता था।
रिसीवर से पांच लाख रुपये एडवांस लेकर डोनर की तलाश शुरू करता था। पुलिस ने कुलदीप से तीन माह पहले किडनी खरीदने वाले व्यक्ति से जब यह पूछा कि ऐसा क्यों किया तो उसने कहा कि वह पांच साल से किडनी की तलाश में था। एक-दो जगह तो उसके एडवांस पैसे भी हजम कर लिए गए, लेकिन किडनी नहीं मिली। उसने कहा, पहले जान बचाना जरूरी था। उसे नहीं पता था कि पकड़ा जाएगा।