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एसटीपी के जरिये क्या पानी में फैल सकता है कोरोना, इसके बचाव के वैज्ञानिक देंगे सुझाव

कोरोना वायरस इंसान के मल से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के जरिये क्या पानी में फैल सकता है। इस पर देशभर के विशेषज्ञ व विज्ञानीएक सुझाव के तौर पर इसके बचाव के लिए एक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 08:32 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 08:32 PM (IST)
एसटीपी के जरिये क्या पानी में फैल सकता है कोरोना, इसके बचाव के वैज्ञानिक देंगे सुझाव

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

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कोरोना वायरस इंसान के मल से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के जरिये क्या पानी में फैल सकता है। इस पर देशभर के विशेषज्ञ व विज्ञानीएक सुझाव के तौर पर इसके बचाव के लिए एक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के उन्नत भारत अभियान के तहत एक 40 सदस्यों की सब-कमेटी गठित हुई है। यह देशभर के गांवों में साफ-सफाई व्यवस्था पर काम कर रही है। इसमें देशभर के साफ-सफाई से जुड़े कामों व ग्रामीण विकास से जुड़े 26 विशेषज्ञ व विज्ञानी काम कर रहे हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली के सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी के प्रो. विवेक कुमार इस सब-कमेटी की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले ढाई महीनों से हम एसटीपी के पानी को साफ करने की दुनियाभर में मौजूद तकनीकों का मूल्यांकन कर रहे हैं। अगले हफ्ते तक हम अपने सुझाव के तहत पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को एक रिपोर्ट सौंपेंगे। इसमें इसी बात का जिक्र होगा कि इंसानी मल के जरिये किस तरह से एसटीपी के माध्यम से अगर कोरोना वायरस नदियों में, पानी में फैलता है तो उसके उपाय क्या हो सकते हैं। इसमें हम कोई तकनीक स्वयं तैयार नहीं कर रहे हैं। हम सिर्फ सुझाव देंगे। साथ ही एसटीपी के जरिये कोरोना वायरस पानी में पहुंच सकता है या नहीं, यह कितना नुकसानदायक है, इस पर दुनिया भर के विज्ञानिकों का एक मत नहीं है। वहीं, कई विज्ञानियों ने दावा किया है कि इंसान के फूड पाइप से भी कोरोना वायरस शरीर में जा सकता है। साथ ही दुनियाभर के विज्ञानियों ने यह भी दावा किया है कि जब कोई कोरोना संक्रमित शौचालय का प्रयोग करता है तो दो हफ्तों से भी ज्यादा समय तक वायरस वहां रहता है।

प्रो. विवेक ने कहा कि एसटीपी में क्लोरीन का उपयोग करके बैक्टिरिया व जीवाणुओं को खत्म किया जाता है। हम इस पर भी काम कर रहे हैं कि एसटीपी में और अन्य क्या विकल्प इस्तेमाल करते हुए इन बैक्टिरिया व जीवाणुओं को खत्म किया जा सकता है। साथ ही अस्पतालों में किस तरह से व्यवस्था सुनिश्चित हो सकती है, इस पर भी सुझाव देंगे।


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