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दिल्ली में जहां था अवैध कब्जा वहां पर बनाया जा रहा है स्कूल

देश की राजधानी दिल्ली के वेस्ट पटेल नगर के प्रेम नगर इलाके में स्थित गोशाला पार्क को असामाजिक तत्वों और बांग्लादेशी कबाड़ियों के कब्जे से मुक्त कराकर उस जगह पर स्कूल बनाया जा रहा है जो स्वागतयोग्य है।

By Jp YadavEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 09:43 AM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 09:43 AM (IST)
दिल्ली में जहां था अवैध कब्जा वहां पर बनाया जा रहा है स्कूल
दिल्ली में जहां था अवैध कब्जा वहां पर बनाया जा रहा है स्कूल

नई दिल्ली, जागरण टीम। देश की राजधानी दिल्ली में वेस्ट पटेल नगर के प्रेम नगर इलाके में स्थित गोशाला पार्क को असामाजिक तत्वों और बांग्लादेशी कबाड़ियों के कब्जे से मुक्त कराकर उस जगह पर स्कूल बनाया जा रहा है, जो स्वागतयोग्य है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को इसका शिलान्यास किया। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अनुसार यह निगम का सबसे बड़ा स्कूल होगा।

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वर्ष 2017 में दैनिक जागरण द्वारा चलाए गए स्वच्छता अभियान के दौरान इस पार्क से कबाड़ को हटाकर इसे असामाजिक तत्वों के कब्जे से मुक्त कराया गया था। कब्जामुक्त कराते समय असामाजिक तत्वों के हमले में एक पुलिस अधिकारी के सिर में गंभीर चोटें भी आई थीं, लेकिन यह सुखद रहा कि इसे पूरी तरह से मुक्त करा लिया गया। इसके बाद पार्क पर दोबारा कब्जा नहीं हो पाया और अब यहां 34 कमरों वाला तीन मंजिला स्कूल बनाया जाएगा।

राजधानी दिल्ली में सिर्फ यही ऐसा पार्क नहीं है, जिसपर अवैध कब्जा हो। दिल्ली में ऐसे कई पार्क और भूखंड हैं, जहां अवैध रूप से कब्जा कर रखा गया है। इसके कारण न तो पार्कों में बच्चों को खेलने की सुविधा मिलती है और न ही इनका सामाजिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो पा रहा है। कई पार्को में तो वाहन खड़े किए जा रहे हैं तो खाली भूखंड कूड़ाघर बनकर रह गए हैं। ऐसे पार्को के लिए गोशाला पार्क एक उदाहरण है। इसे मुक्त कराकर स्कूल बनाया जाना यह दर्शाता है कि यदि पूरी इच्छाशक्ति के साथ पार्कों और अन्य भूखंडों से अवैध कब्जे हटाए जाएं तो उनका समाज के लिए बेहतर उपयोग किया जा सकता है।

दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण और नगर निगमों समेत अन्य स्थानीय निकायों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए और राजधानी में अवैध रूप से कब्जा किए गए पार्को और भूखंडों की पहचान कर न सिर्फ उन्हें मुक्त कराना चाहिए, बल्कि उनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि उनपर दोबारा कोई कब्जा न कर सके।


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