आवारा जानवरों के साथ लोगों के भी हैं मौलिक अधिकारः हाईकोर्ट
अदालत ने कहा कि जिस तरह जानवरों के अधिकार तय हैं ठीक उसी प्रकार कानून में आम लोगों के भी अपने मौलिक अधिकार हैं। हाई कोर्ट परिसर में आवारा कुत्ते घुस आएं तो आप उन्हें टीकाकरण के बाद वापस वहीं कैसे छोड़ सकते हैं?
नई दिल्ली। हाई कोर्ट ने दिल्ली गोल्फ क्लब परिसर से आवारा कुत्तों को एक माह में हटाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंतनाथ की खंडपीठ ने आठ हफ्ते के लिए यह रोक लगाई है।
अदालत ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए साफ किया है कि मामले में किसी तरह के स्पष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाए। इस तरह का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही विचाराधीन है।
खंडपीठ ने फैसले में यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आवारा कुत्तों के बारे में दिए गए निर्देशों के चलते अदालतें इस मुद्दे पर कोई निर्देश न देने के लिए विवश हैं। 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर केंद्र सरकार की ओर से तय नियमों का पालन करने के लिए कहा था।
नियमों के अनुसार आवारा कुत्तों को पकड़कर उसका बधियाकरण करने के बाद उन्हें वापस वहीं छोड़ा जाता है जहां से उन्हें पकड़ा जाता है। गत 4 नवंबर को न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ ने एनडीएमसी को गोल्फ क्लब परिसर में घुसे कुत्तों को एक माह के भीतर वहां से हटाकर किसी अन्य स्थान पर छोड़ने का निर्देश दिया था।
अदालत में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने इसी आदेश को मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। इससे पूर्व अदालत ने 20 नवंबर को खंडपीठ ने बोर्ड से पूछा था कि आवारा कुत्तों से कैसे निपटा जाए। आवारा कुत्तों का बधियाकरण कर उन्हें दूसरे स्थान पर क्यों नहीं छोड़ा जा सकता है।
अदालत ने कहा कि जिस तरह जानवरों के अधिकार तय हैं ठीक उसी प्रकार कानून में आम लोगों के भी अपने मौलिक अधिकार हैं। खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए बोर्ड से यह सवाल पूछा कि यदि हाई कोर्ट परिसर में आवारा कुत्ते घुस आएं तो आप उन्हें टीकाकरण के बाद वापस वहीं कैसे छोड़ सकते हैं?