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आज जलेगा बुराई का रावण

कोरोना का कहर के बीच रावण के पुतले बनकर तैयार है। पर बीते दो साल से छोटे कद के रावण की भरमार है। नजफगढ़ रोड पर तितारपुर गांव के पास सड़क किनारे सजे रंग-बिरंगे छोटे कद वाले रावण के पुतले दूर से ही लोगों को आकर्षित कर रहे है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 09:22 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 09:22 PM (IST)
आज जलेगा बुराई का रावण

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली :

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कोरोना का कहर के बीच रावण के पुतले बनकर तैयार है। पर बीते दो साल से छोटे कद के रावण की भरमार है। नजफगढ़ रोड पर तितारपुर गांव के पास सड़क किनारे सजे रंग-बिरंगे छोटे कद वाले रावण के पुतले दूर से ही लोगों को आकर्षित कर रहे है। विशेषकर बच्चे उन्हें खरीदने के लिए काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। महामारी के कारण इस वर्ष भी शुक्रवार को सीमित स्थानों पर ही रावण दहन होगा। इन सब के बीच बच्चे परंपराओं से विमुख न हों इसके लिए माता-पिता भी उनके लिए छोटे कद के रावण खरीदने के लिए आगे आ रहे हैं।

कारोबारियों के मुताबिक पिछले वर्ष भी छोटे कद वाले रावण का अच्छा कारोबार हुआ था और उसी उम्मीद के साथ इस बार भी छोटे कद वाले रावण बनाने पर अधिक जोर दिया था। हालांकि, इसमें बड़े कद वाले रावण के मुकाबले मेहनत अधिक है और दाम कम है। पर पुरखों से चला रहा रावण के पुतले बनाने का कारोबार आगे भी जारी रहे, इसके लिए बाजार की मांग के अनुरूप छोटे कद वाले रावण बना रहे हैं। हालांकि, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, बड़े रावण बनाने में भी हम लोग इतना व्यस्त रहते थे कि छोटे कद वाले रावण का विचार भी मन में नहीं आता है। शुरुआत में छोटे कद के रावण बनाने में थोड़ी परेशानी हुई पर अब बाजार के अनुरूप खुद को हमने ढाल लिया है। बड़े कद के रावण भी है तैयार :

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तरफ से रामलीला व दशहरा मनाने की मिली अनुमति के बाद बिना देर किए कई कारोबारियों ने बड़े कद के रावण के पुतले बनाने का काम शुरू किया। जबकि, कुछ को यकीन था कि दशहरा का आयोजन होगा ऐसे में उन्होंने जोखिम उठाते हुए पुतले बनाने में अपनी लागत लगा दी थी। अच्छी बात यह है कि समय रहते बड़े कद के रावण बनकर तैयार हो गए, जिसके चलते तितारपुर गांव में उल्लास का माहौल है।

हालांकि, अब तितारपुर गांव के साथ राजौरी गार्डन, नंगली डेयरी, उत्तम नगर समेत क्षेत्र के कई हिस्सों में रावण के पुतले तैयार होने लगे हैं। कारीगर बताते हैं कि समय कम होने के कारण इस बार उन्होंने बेहद ही साधारण रावण के पुतले बनाएं है। वरना मूंछ व आंखों के साथ रावण के घाघरे पर भी कई तरह की कलाकारी करने का उत्साह होता था। दूसरा, आर्थिक मंदी के कारण अब कुंभकरण व मेघनाथ के पुतलों की मांग बाजार में बिल्कुल खत्म हो गई है। कारीगर मुकेश ने बताया कि बड़े कद वाले रावण का पुतला अनेक हिस्सों में बांटकर बनाया जाता है। पुतले के छह हिस्से होते हैं। इनमें मुकुट, चेहरा, धड़, घाघरा, पैर व जूती शामिल हैं। दशहरा के लिए जब आयोजक इन पुतलों को लेकर जाएंगे तो इन्हें यहां से टुकड़ों में ही ले जाया जाएगा। आयोजन स्थल पर इन हिस्सों को आपस में जोड़ दिया जाएगा जिसके बाद रावण का असली चेहरा नजर आएगा।


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