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गंगा को बचाने का संदेश देती रामलीला

श्री सनातन धर्म रामलीला कमेटी स्थान : राम वाटिका, अजमल खां पार्क, करोलबाग करोलबाग की रामली

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 08:29 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 09:39 PM (IST)
गंगा को बचाने का संदेश देती रामलीला
गंगा को बचाने का संदेश देती रामलीला

श्री सनातन धर्म रामलीला कमेटी

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स्थान : राम वाटिका, अजमल खां पार्क, करोलबाग

करोलबाग की रामलीला में धार्मिक के साथ सामाजिक संदेश भी होता है। मंचन के दौरान संवादों व चौपाई की विशेष प्रस्तुति इस कमेटी की विशेषता है, वहीं मंच पर तकनीकी के बेहतर प्रयोग से प्रस्तुत की गई इसकी जीवंत प्रस्तुति दर्शकों का मन मोह लेती है। वहीं, कभी कन्या भू्रण हत्या तो कभी गंगा की अविरलता इसका संदेश होती है।

इतिहास

29 साल पुरानी यह समिति शुरुआती दिनों में पांच दिवसीय रामलीला का आयोजन करती थी। इसमें राम के जीवन के प्रमुख अंशों को प्रस्तुत किया जाता था। मंचन में भाग लेने वाले कलाकार निष्ठा के साथ हिस्सा लेते हैं। यह पूरे 11 दिन आयोजित होता है।

विशेषता : मंच पर संवाद अदायगी के साथ ही रामायण की चौपाइयों का भी पाठ होता है।

-कई कलाकार ऐसे हैं जिनके पिता और दादा भी इस रामलीला में पात्र निभा चुके हैं।

-परशुराम संवाद खास होता है।

-आधुनिकता और हाइटेक तकनीक के दौर में भी इस रामलीला में समय के साथ उतने ही बदलाव हुए हैं, जितने में रामायण के मूल्य न खोए।

-रामलीला के माध्यम से गंगा बचाओ का संदेश दिया जा रहा है।

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रामलीला एक महापर्व है। इसमें अधर्म पर धर्म की विजय को दर्शाया जाता है। यह हमारी संस्कृति और धार्मिक विशेषताओं को आगे बढ़ाने का काम करती है। इसलिए इसके आयोजन में सावधानी के साथ पूर्ण निष्ठा की जरूरत है, जिसका ख्याल रखा जाता है।

अशोक गुप्ता, चेयरमैन।

हम रामलीला को बिल्कुल साधारण तरीके से आयोजित करते हैं। इसको फिल्मों के प्रभाव से दूर रखा जाता है। इसके आयोजन में शुद्धता और मौलिकता का पूरा ख्याल रखा जाता है, ताकि अपनी विशेषता से अगली पीढ़ी को परिचित करा सके।

अशोक कपूर, अध्यक्ष।

हम रामलीला के साथ सामाजिकता का संदेश देने की कोशिश करते हैं, ताकि धर्म के रास्ते समाज में सुधार आए। इस बार गंगा बचाओ का संदेश दिया जा रहा है। पिछली बार पर्यावरण बचाओ और बेटी बचाओ का संदेश दिया गया था।

प्रवीण कपूर, मंत्री।

इसमें कई कलाकार स्थानीय हैं और उनका परिवार कई पीढि़यों से जुड़ा है। दादा व पिता तक अभिनय कर चुके हैं। इसलिए इस रामलीला से स्थानीय लोगों का खास जुड़ाव है।

शैलेष चंद गुप्ता, कोषाध्यक्ष।


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