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राजपथ पर जीवंत हो उठी धर्म संस्कृति की विविधता में एकता

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली आसियान के दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में राजपथ पर साझा ध्

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jan 2018 09:11 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jan 2018 09:11 PM (IST)
राजपथ पर जीवंत हो उठी धर्म संस्कृति की विविधता में एकता

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : आसियान के दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में राजपथ पर साझा धर्म व संस्कृति की विविधता में एकता जीवंत हो उठी। राम से लेकर बुद्ध की झांकी ने आसियान देशों के बीच जमीनी सीमा की दीवारों को गिराते हुए उन्हें एक विरासत के सूत्र में पिरोया। यह ऐतिहासिक मौका था, जब विविधता में एकता के मंत्र में आसियान देश भी समाहित हो गए। यह देख दर्शक अभिभूत थे और तालियों की गड़गड़ाहट थमने का नाम नहीं ले रही थी।

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69वें गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक परेड में काफी कुछ नया था। विदेश मंत्रालय के तहत आसियान-संस्कृति एवं धर्म की झांकी में भारत और आसियान देशों के बीच धर्म के मजबूत संबंधों को दर्शाया गया। दो भागों में बंटी झांकी के पहले भाग में महाबोधि मंदिर और बौद्ध वृक्ष को दिखाया गया, जहां पर महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई। वहीं, दूसरे भाग में दक्षिण पूर्व एशिया रामायण के मिश्रण को दिखाया गया। भगवान राम और उनकी कथा से आसियान देश अलग-अलग रूप से जुड़े हैं। विदेश मंत्रालय के तहत ही एक अन्य झांकी में आसियान देशों के नालंदा विश्वविद्यालय से जुड़ाव को उभारा गया, जो बौद्ध अध्ययन का भी विश्व विख्यात केंद्र था। झांकी में नालंदा विवि के आंगन में बौद्ध भिक्षु ध्यान की मुद्रा में बैठे थे।

बुद्ध से आसियान देशों का गहरा नाता है। ऐसे में मध्य प्रदेश इस जुड़ाव को और प्रगाढ़ करने में कैसे पीछे रहता। मध्य प्रदेश की झांकी में प्रमुख बौद्ध केंद्र सांची को प्रमुखता से उभारा गया। झांकी के साथ चलते बौद्ध भिक्षु को आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष दिलचस्पी से देख रहे थे। यहीं नहीं, इसमें हिमाचल प्रदेश भी पीछे नहीं रहा। हिमाचल प्रदेश की झांकी में स्पीति घाटी के सबसे बड़े और हजारों वर्ष पुराने कये गोम्पा मठ को प्रदर्शित किया गया। झांकी के आगे ध्यानमग्न बुद्ध की विशाल मूर्ति, पीछे पर्वतों के ऊपर सीढ़ीनुमा बने मठ के मकान अलग ही खूबसूरती बिखेर रहे थे। इसके बाद स्कूली बच्चों ने राजपथ पर दस देशों के संगीत पर नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से उनके प्रति लगाव को प्रस्तुत किया। रंग बिरंगी छतरी, मुखौटे और हाथों में पंखे लिए छात्रों की प्रस्तुति ऐसी की आसियान देशों के प्रतिनिधि भी वाह-वाह कह उठे।

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जय भवानी, जय शिवाजी से गूंजा राजपथ

घोड़े पर बैठे छत्रपति शिवाजी की मूर्ति के साथ जैसे ही महाराष्ट्र की झांकी गुजरी वैसे ही राजपथ जय भवानी, जय शिवाजी के नारों से गूंज उठा। भगवा ध्वज के साथ शिवाजी के सैनिकों की प्रस्तुति माहौल में जोश भर रही थी। वहीं, केरल में मंदिरों के उत्सव की झांकी से केरल को लोगों ने नए प्रकार से जाना।


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