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राम मंदिर निर्माण व जनसंख्या नियंत्रण पर संतों ने भरी हुंकार

अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केंद्र सरकार से की मांग अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केंद्र सरकार से की मांग

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jun 2018 10:49 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jun 2018 10:49 PM (IST)
राम मंदिर निर्माण व जनसंख्या 
नियंत्रण पर संतों ने भरी हुंकार
राम मंदिर निर्माण व जनसंख्या नियंत्रण पर संतों ने भरी हुंकार

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राम मंदिर के निर्माण, जनसंख्या नियंत्रण, लव जेहाद, ¨हदुओं के विस्थापन और गंगा की निर्मलता को लेकर संतों ने हुंकार भरी। उन्होंने गो-रक्षा, गंगा रक्षा, जनसंख्या नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार से सख्त कानून बनाने और समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की। वहीं, उच्चतम न्यायालय से राम मंदिर मामले की रोजाना सुनवाई कर एक माह में फैसला देने की मांग की।

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दिलशाद गार्डन आर व क्यू पॉकेट स्थित अखंड परमधाम में आयोजित अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ये मांगें उठाई गई। इसमें देशभर से संत जुटे थे। संतों ने संत समिति की मजबूती के लिए करीब 50 लाख रुपये भी जुटाए। स्वामी अनुभूतानंद गिरी महाराज द्वारा आयोजित बैठक में जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या देश के लिए बड़ा खतरा है, इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर एक से दो बच्चों को जन्म देने का ही प्रावधान किया जाए। साथ ही लव जेहाद पर भी कानून बने, वरना धर्म के आधार पर फिर देश का विभाजन हो सकता है।

अयोध्या में राम मंदिर था और रहेगा : जीतेंद्रानंद सरस्वती

संत जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर था और रहेगा, दुनिया की कोई ताकत इसे हटा नहीं सकती। उन्होंने ¨हडन में बनाए गए हज हाउस को लेकर कहा कि यहां से भारत की गोपनीय सूचनाएं लीक होने का खतरा बना हुआ है। स्वामी दिव्यानंद महाराज ने कहा कि माता वैष्णो देवी की यात्रा से जम्मू व आसपास की अर्थव्यवस्था चल रही है, फिर भी वहां हमारे सैनिकों पर पथराव होना व कश्मीरी पंडितों को मारना चिंता का विषय है।

महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा कि संत समाज चाहता है कि आने वाले संसद सत्र में राष्ट्रीय नदी गंगा संरक्षण प्रबंधन कानून 2017 को तत्काल पास कराया जाए। संतों ने बताया कि हरिद्वार से गंगा जल लेकर अमृतसर तक यात्रा निकाली जाएगी और जलियांवाला बाग की रक्तरंजित भूमि का गंगा जल से शुद्धीकरण कर शहीदों को नमन किया जाएगा।


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