पुलिस की निष्क्रियता से सक्रिय हैं जेबतराश
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : डेढ़ दशक पूर्व राजधानी में ब्लू लाइन बसों का आतंक था। इन्हें किलर बसें कहा जाता था। उस समय कई रूटों पर जेबतराशों का आतंक था, जोकि आज तक कायम है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : डेढ़ दशक पूर्व राजधानी में ब्लू लाइन बसों का आतंक था। इन्हें किलर बसें कहा जाता था। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था उतनी अच्छी नहीं थी। मेट्रो रेल की सुविधा भी नहीं थी। सड़के अच्छी व चौड़ी नहीं थीं। जगह-जगह झुग्गियां बसी थीं। उस समय भी जेबतराशों का आतंक हुआ करता था। पुलिस उस समय जेबतराशों पर नकेल नहीं लगा पा रही थी, लेकिन अब दिल्ली काफी बदल चुकी है, हालात भी बदल गए हैं। फिर भी राजधानी के करीब सभी जिले में कुछ रूटों पर जेबतराशों का आतंक है। उन पर अब भी नकेल न लग पाना बड़ा सवाल है। रविवार को प्रगति मैदान के पास एक युवक की हत्या पूरी दिल्ली पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रही है।
पुलिस का दावा है कि दिल्ली में बीट सिस्टम बहुत प्रभावी है। हर थाने में इलाके के सभी घोषित बदमाशों, जेबतराश, वाहन चोर, झपटमार, लुटेरे, अवैध शराब विक्रेता व कुख्यात बदमाशों की सूची होती है। डिवीजन व बीट अफसरों के पास असामाजिक तत्वों की पूरी जानकारी होती है। फिर भी पुलिसकर्मी जेबतराशों पर कार्रवाई नहीं करना चाहते हैं। उनकी गतिविधियों पर नजर नहीं रखते हैं। अगर पुलिस अपने-अपने इलाके के जेबतराशों पर नकेल कसे तो बसों, रेल व मेट्रो में पॉकेटमारी की घटना नहीं होगी।
जेबतराशों का रूट होता है निर्धारित
यमुनापार के पूर्वी, उत्तर-पूर्वी व शाहदरा जिले के इलाके कल्याणपुरी, त्रिलोकपुरी, मयूर विहार, सीलमपुर, शाहदरा, मानसरोवर पार्क, सीमापुरी, नंदनगरी, न्यू उस्मानपुर, जाफराबाद, दक्षिण व दक्षिण-पूर्वी जिले के संगम विहार, अम्बेडकर नगर, गोविंदपुरी, जामियानगर, ओखला, जहांगीरपुरी, मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी आदि इलाके बड़ी संख्या में जेबतराश रहते हैं। इन रूट पर चलने वाली बसों में लोगों को निशाना बनाते हैं। जेबतराशों का रूट निर्धारित होता है। वे चार की संख्या में अपने रूटों में चलते हैं। किसी के रूट में दूसरा नहीं जा सकता है। दूसरे के रूट में पकड़े जाने पर मारपीट व हत्या जैसी घटना भी होती है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस को यह पता रहता है कि कौन सा रूट किस गिरोह का है।
गेट पर यात्रियों को बनाते हैं निशाना
पॉकेटमार वारदात के लिए वे उन इलाकों का चयन करते हैं, जिनमें ज्यादातर क्लस्टर बसें चलती हैं और उक्त बसों में काफी भीड़ रहती है। इनमें निम्न व निम्न मध्यम वर्ग के लोग ज्यादा सफर करते हैं। वे पीक ऑवर में सुबह व शाम के समय ज्यादा सक्रिय रहते हैं। बसों में चढ़ने व उतरने के दौरान गेट पर यात्रियों को निशाना बनाते हैं, ताकि पकड़े जाने पर कूदकर आसानी से भाग सकें। वे गेट पर जान-बूझकर अचानक भीड़ जैसा माहौल बना देते हैं और उसी दौरान पर्स व मोबाइल आदि गायब कर देते हैं।
--------------------
बसों में जेबतराशी की घटना बेहद गंभीर है। इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। जल्द ही सभी थानों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे अपने-अपने इलाके के जेबतराशों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उन पर लगातार नजर रखें। जिन थानाध्यक्षों के इलाके में जेबतराशी की घटना होगी, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
मधुर वर्मा, दिल्ली पुलिस प्रवक्ता
----------------------------------------------------------
गिरोह के बारे में पता लगा रही है पुलिस
तिलक मार्ग थाना पुलिस प्रगति मैदान के पास युवक अमरजीत की हत्या के मामले में पकड़े गए जेबतराश अजीत (24), सूरज (20) व सुमित (25) को रिमांड पर लेकर उनके गिरोह के बारे में पता लगा रही है, ताकि सभी को दबोचा जा सके। सूरज गोरखपार्क, सुमित मानसरोवर पार्क व अजीत गोरखपार्क, शाहदरा का रहने वाला है। सूरज ने ही अमरजीत को चाकू मारा था। वर्ष 2015 में कश्मीरी गेट व कोतवाली थाना पुलिस उसे दो मामलों में गिरफ्तार कर चुकी है। अजीत के खिलाफ पहले से ही चार मामले दर्ज हैं। वे मोबाइल चोरी कर कल्याणपुरी निवासी मोनू व सीमापुरी निवासी राजा को सौंपते थे। इन दोनों के ठिकानों पर इंस्पेक्टर नरेश सोलंकी की टीम ने छापेमारी की, लेकिन वे हाथ नहीं आए। आरोपित सूरज ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने वारदात में प्रयुक्त चाकू दरियागंज से कुछ हफ्ते पहले 200 रुपये में खरीदा था। रविवार को उसने पहला मोबाइल फोन उड़ाया था। मोबाइल निकालकर भागने के दौरान अमरजीत ने उसका पीछा किया था। 50 मीटर दूर जाकर जब अमरजीत ने उसे दबोच लिया तो उसने खुद को छुड़ाने के लिए सूरज ने अमरजीत के सीने में चाकू घोंप दिया था। पकड़ ढीली होने पर वह जब फिर से भागने लगा तो अमरजीत की पत्नी मंजू चार साल के बेटे को सड़क पर छोड़कर उसे दबोचने के लिए दौड़ पड़ीं। 200 मीटर दूर जाकर मंजू ने सूरज व सुमित को दबोच लिया। तब सूरज ने उसी चाकू से मंजू के दाएं हाथ पर वार किया। दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने दो घंटे के अंदर अजीत को दबोचकर चाकू बरामद कर लिया था।