उम्रकैद काट रहे कैदियों के अभिनय से जीवंत हुआ जक्शपुरी
वाह..कमाल का अभिनय है। लिटिल थियेटर ग्रुप ऑडिटोरियम में बंगाली नाटक जक्शपुरी के कलाकारों का अभिनय देख दर्शकों के मुंह से बरबस ही ये शब्द निकल रहे थे। नाटक खत्म होने पर जब दर्शकों को पता चला कि सभी कलाकार बुराहनपर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी हैं तो पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। भारत रंग महोत्सव में बृहस्पतिवार रात र¨वद्र नाथ टैगोर की रचना रक्तकर्बी पर आधारित जक्शपुरी नाटक को दर्शकों ने खूब सराहा।
संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली :
वाह..कमाल का अभिनय है। लिटिल थियेटर ग्रुप ऑडिटोरियम में बंगाली नाटक जक्शपुरी के कलाकारों का अभिनय देख दर्शकों के मुंह से बरबस ही ये शब्द निकल रहे थे। नाटक खत्म होने पर जब दर्शकों को पता चला कि सभी कलाकार बुराहनपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी हैं तो पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। भारत रंग महोत्सव में बृहस्पतिवार रात र¨वद्र नाथ टैगोर की रचना रक्तकरबी पर आधारित जक्शपुरी नाटक को दर्शकों ने खूब सराहा। लोगों को पसंद आयी नाटक की कहानी
प्रदीप भट्टाचार्या का यह बंगाली नाटक मुख्य पात्र नंदिनी के इर्द-गिर्द घूमता है। नंदिनी यह जानती है कि धन और शक्तियां और कुछ नहीं सिर्फ एक माया है और जीवन की सबसे आवश्यक भावना है प्रेम। इसे वह इस नाटक में रंजन के लिए अपने प्रेम के जरिये दिखाती है। लेकिन, प्रेम का बंधन तब अहंकार के वशीभूत कुचला जाता है, जब बुद्धिमत्ता इसकी भावनात्मक जिज्ञासा पर हावी हो जाती है। इसके बाद नाटक में प्रेम एक मायावी रहस्य के रूप में सामने आता है, जो दर्शकों को रोमांचित करता है। थियेटर में बंगाल पुलिस भी रही मौजूद
जक्शपुरी में अभिनय करने वाले सभी कलाकारों के साथ बंगाल पुलिस के जवान भी थियेटर में मौजूद थे। इन कैदियों का एनएसडी के मंच पर यह पहला राष्ट्रीय स्तर पर मंचन था। ये कलाकार हत्या जैसे संगीन अपराधों में उम्र कैद की सजा काट रहे 26 कैदी पिछले 13 सालों से थियेटर के जरिये अपराध मुक्ति का संघर्ष कर रहे हैं। भट्टाचार्या ने बताया कि इन्हें पैरोल पर लाया गया है। देशभर में 53 नाटकों का किया मंचन
मंचन प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि तत्कालीन जेल निदेशक बीडी शर्मा की पहल पर उन्होंने 2006 से यह मुहिम शुरू की थी। तब से अब तक कैदी उनके निर्देशन में 53 नाटकों का मंचन देशभर के विभिन्न हिस्सों में कर चुके हैं। बुराहनपुर सेंट्रल जेल में शुरू हुई इस पहल के बाद बंगाल की अन्य जेलों में कैदियों को थियेटर के साथ जोड़ा गया है। इसे कल्चर थियेटर थैरेपी का नाम दिया गया है। कई कैदियों के जीवन में इस कदर सुधार हुआ कि उनकी सजा माफ कर दी गई। नाटक मंचन की टिकट ब्रिक्री व सहायता से एक करोड़ की राशि जुटाई जा चुकी है, जो कैदी कल्याण कोष के माध्यम से कैदियों के परिवारों वालों को जरूरत के समय दी जाती है। एक ही छत के नीचे अभिनय सीख रहे महिला पुरुष
प्रदीप कहते हैं कि जब वे जेल में अभिनय सिखाने जाने लगे तो पता चला कि यहां पुरुष-महिलाएं अलग अलग रहते हैं। उन्होंने किसी तरह दोनों को एक छत के नीचे लाकर अभिनय सीखाना शुरू किया। एक महिला-पुरुष कैदी ने बाद में शादी भी कर ली। दंपती अब नाटक में अभिनय करते हैं। दंपती ने बताया कि पहले लोग हमें गलत दृष्टि से देखते थे, लेकिन अब न केवल अभिनय को सराहते हैं बल्कि साथ में फोटो भी ¨खचवाते हैं।