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दिल्ली में स्वीडन की तर्ज पर सिंगल यूज प्लास्टिक के बदले लोगों को मिलेगा पैसा, ये रहेगा रेट

व्यावहारिकता की कसौटी पर कसते हुए ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। टेंडर निकाले जाएंगे और एनजीओ के साथ अनुबंध किया जाएगा। बताया जाता है कि इस प्रविधान को रखने का मकसद सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे का सही ढंग से निस्तारण करना है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Tue, 26 Apr 2022 07:23 AM (IST)Updated: Tue, 26 Apr 2022 07:23 AM (IST)
दिल्ली में स्वीडन की तर्ज पर सिंगल यूज प्लास्टिक के बदले लोगों को मिलेगा पैसा, ये रहेगा रेट
पालिसी ड्राफ्ट में जन जागरूकता अभियान का भी प्रविधान रखा गया है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। स्वीडन की तर्ज पर दिल्ली में भी प्लास्टिक कचरे के बदले लोगों को पैसा मिलेगा। उनको प्लास्टिक कचरा संग्रहण केंद्र तक जाना होगा, जहां प्रति नग या प्रति किग्रा की दर से निर्धारित राशि का भुगतान किया जाएगा। इसके लिए दिल्ली सरकार कुछ एनजीओ के साथ अनुबंध करेगी। ये एनजीओ जगह-जगह संग्रहण केंद्र शुरू करेंगे और एकत्रित प्लास्टिक को रिसाइकिल करेंगे।

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दरअसल, एक जुलाई से देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर लगने जा रहे प्रतिबंध के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने भी पालिसी ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कई ऐसे प्रविधान भी रखे गए हैं, जिनसे इस प्रतिबंध को सफल बनाने में जनता का सहयोग भी मिल सके। पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बायबैक के प्रविधान पर गंभीरता से विचार-विमर्श चल रहा है। व्यावहारिकता की कसौटी पर कसते हुए ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। टेंडर निकाले जाएंगे और एनजीओ के साथ अनुबंध किया जाएगा। बताया जाता है कि इस प्रविधान को रखने का मकसद सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे का सही ढंग से निस्तारण करना है। पालिसी ड्राफ्ट में जन जागरूकता अभियान का भी प्रविधान रखा गया है।

स्कूल-कालेज के साथ-साथ आरडब्ल्यूए के स्तर पर भी यह अभियान चलाया जाएगा। इसके अलावा ऐसे उद्यमियों और स्टार्ट अप को प्रोत्साहित किया जाएगा जो सिंगल यूज प्लास्टिक के तहत प्रतिबंधित आइटमों का विकल्प सामने लाएंगे। इस बीच 30 जून तक एकल-उपयोग वाली 19 प्लास्टिक वस्तुओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए दिल्ली सरकार ने राजधानी में प्लास्टिक कचरे के उत्पादन की पहचान एवं उसका आकलन करने के लिए बाजारों, सार्वजनिक स्थानों, शापिंग सेंटरों और पर्यटन स्थलों का सर्वेक्षण कार्य शुरू करवा दिया है। सर्वेक्षण की जिम्मेदारी श्रीराम इंस्टीटयूट को दी गई है।

दिल्ली के सभी 11 जिलों को कवर करते हुए प्लास्टिक कूड़े के हाटस्पाट की पहचान की जाएगी। सर्वे में सभी प्रमुख व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, माल, बाजार, शा¨पग सेंटर, सिनेमा घरों, रेस्तरां, पर्यटन स्थलों, पूजा स्थलों, कालेजों, स्कूलों, कार्यालय परिसरों, अस्पतालों और संस्थानों को शामिल किया जा रहा है। सर्वे में स्टाकिस्टों, खुदरा विक्रेताओं, विक्रेताओं, स्ट्रीट वेंडरों, सब्जी और फलों के बाजारों और एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं में थोक में काम करने वाले आयातकों की सूची भी तैयार की जाएगी।

प्लास्टिक कचरे और प्रतिबंधित एसयूपी वस्तुओं के उत्पादन, संग्रह और प्रसंस्करण की जिलेवार मै¨पग होगी और अनौपचारिक क्षेत्र में प्रतिबंधित एसयूपी वस्तुओं के उत्पादन में लगे उत्पादकों की पहचान की जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पालिसी ड्राफ्ट को एक सप्ताह में अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसे पब्लिक डोमेन में डालकर 30 जून से पहले अधिसूचित कर दिया जाएगा।

इन वस्तुओं पर लगाया जाएगा प्रतिबंध: मालूम हो कि सिंगल यूज प्लास्टिक वाली 19 वस्तुओं में ईयरबड, गुब्बारे के लिए प्लास्टिक की छड़ें, झंडे, कैंडी की छड़ें, आइसक्रीम की छड़ें, सजावट के लिए पालीस्टाइनिन (थर्मोकोल), प्लेट, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, रैपिंग या पैकेजिंग फिल्म, मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैकेट, प्लास्टिक या पीवीसी बैनर 100 माइक्रोन से कम और स्टिकर शामिल हैं।


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