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पर्यावरण संरक्षण : सेवानिवृत्त होने के बाद पर्यावरण के लिए किया जीवन समर्पित

सेवानिवृत्त होने के बाद यमुना विहार निवासी रघुराज सिंह धामा (77) ने अपना पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वह यमुना विहार सी ब्लॉक स्थित हनुमान वाटिका पार्क (अलंकृत पार्क) की देखरेख करने वाली हनुमान वाटिका निगरानी कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। वह इस पार्क में लगे पेड़-पौधों की देखरेख में जुटे रहते हैं। इस उम्र में भी उनके अंदर पर्यावरण को संरक्षित रखने का ऐसा जज्बा देखने को मिलता है जिससे वह कई युवाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 09:18 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 09:18 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण : सेवानिवृत्त होने के बाद पर्यावरण के लिए किया जीवन समर्पित

रितु राणा, पूर्वी दिल्ली

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सेवानिवृत्त होने के बाद यमुना विहार निवासी रघुराज सिंह धामा (77) ने अपना पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वह यमुना विहार सी ब्लॉक स्थित हनुमान वाटिका पार्क (अलंकृत पार्क) की देखरेख करने वाली हनुमान वाटिका निगरानी कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। वह इस पार्क में लगे पेड़-पौधों की देखरेख में जुटे रहते हैं। इस उम्र में भी उनके अंदर पर्यावरण को संरक्षित रखने का ऐसा जज्बा देखने को मिलता है जिससे वह कई युवाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत हैं।

धामा ने बताया कि 2001 में वह शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो गए। उसके बाद वह पेड़-पौधों की देखभाल और सामाजिक कार्य करने लगे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए यमुना विहार के कई पार्को में पौधे लगाने व सफाई-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपना सहयोग दिया है। हनुमान वाटिका में उन्होंने अपने मित्र शोभा राम, बीडी शर्मा, रनबीर सिंह, वासुदेव, जगबीर सिंह के सहयोग से कई वर्ष पहले मंडोली नर्सरी से पेड़-पौधे लाकर लगाए थे। पहले इस पार्क में रामलीला होती थी। मंच पर कलाकारों द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग किए जाने से आसपास का माहौल खराब हो रहा था। रामलीला मंचन के कारण पार्क में पेड़-पौधे नहीं लगाए जाते थे, लेकिन उन्होंने साथियों संग संघर्ष करके इस पार्क में पौधे लगाकर उसे हरा-भरा किया। आज यह हनुमान वाटिका हरे-भरे पेड़-पौधों के कारण अलंकृत पार्क के नाम से मशहूर है। करीब एक महीने पहले यहां पानी की मोटर खराब हो गई थी। सिंचाई न होने से पौधे सूखने लगे थे और शिकायत के बाद भी मोटर ठीक नहीं कराई जा रही थी, लेकिन रघुराज धामा की जिद के आगे सभी को झुकना पड़ा और उन्होंने पौधों को फिर से जीवित करने के लिए पानी की मोटर को ठीक करवाकर ही माना। उन्होंने बताया वह नियमित रूप से पार्क की देखरेख में लगे रहते हैं और अधिकतर समय पार्क में बैठकर पौधों के बीच ही बिताते हैं।

इसके अलावा यमुना विहार स्थित निगम विद्यालय की जमीन पर बनने जा रहे कूड़ा रिसायकल प्लांट का विरोध करते हुए आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि नगर निगम स्कूल में छोटे-छोटे बच्चे पढ़ते हैं, यहां प्लांट नहीं बनाया जाना चाहिए, इससे बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। प्लांट से उठने वाली कूड़े की बदबू से लोगों में बीमारियां फैलने का खतरा बना रहेगा। इससे क्षेत्र में बदबू के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ेगा। यह एनजीटी के नियमों के खिलाफ है, इस तरह के प्लांट रिहायशी क्षेत्र से बाहर लगने चाहिए।

उन्होंने बताया कि वह पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए साथियों संग पार्को की सफाई भी करते हैं। वह शिक्षणकाल में पेड़-पौधों व पर्यावरण पर कई लेख भी लिख चुके हैं। अपने विद्यार्थियों को विषय से अलग पर्यावरण संरक्षण की सीख दिया करते थे, जिससे भविष्य में उनके छात्र भी पर्यावरण को सुंदर व स्वच्छ बनाने में अपना योगदान दे सकें।


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