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20 लाख संपत्ति मालिकों में सिर्फ 37 को है अपनी इमारत की चिता

- स्थानीय निकायों को जमा करानी थी स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट - बार-बार भूकंप के झटकों से बढ़ रही थी लोगों की चिता निहाल सिंह नई दिल्ली दिल्ली की इमारतों को भूकंप रोधी सुनिश्चित करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी राजधानी में संपत्तियों को भूकंप रोधी बताने में लोग सामने नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि स्थानीय निकायों के बार-बार नोटिस दिए जाने के बाद भी ग्रुप हाउसिग सोसाइटियां और निजी संपत्तियों के मालिक ढांचागत मजबूती प्रमाण पत्र ( स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट) नहीं ले रहे हैं। आलम यह है कि उत्तरी और दक्षिणी निगम की करीब 20 लाख संपत्ति मालिकों में से केवल 37 ने ही अपनी इमारत को भूकंपरोधी होने की रिपोर्ट जमा कराई है। सिर्फ दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की बात करें तो 19

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 01:07 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:05 AM (IST)
20 लाख संपत्ति मालिकों में सिर्फ  37 को है अपनी इमारत की चिता
20 लाख संपत्ति मालिकों में सिर्फ 37 को है अपनी इमारत की चिता

निहाल सिंह, नई दिल्ली

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दिल्ली की इमारतों को भूकंप रोधी सुनिश्चित करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी राजधानी में अपनी संपत्तियों को भूकंप रोधी बताने के लिए लोग सामने नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि स्थानीय निकायों के बार-बार नोटिस दिए जाने के बाद भी ग्रुप हाउसिग सोसायटियां और निजी संपत्तियों के मालिक ढांचागत मजबूती प्रमाण पत्र ( स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट) नहीं ले रहे हैं। आलम यह है कि उत्तरी और दक्षिणी निगम की करीब 20 लाख संपत्ति मालिकों में से केवल 37 ने ही अपनी इमारत को भूकंपरोधी होने की रिपोर्ट जमा कराई है।

सिर्फ दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की बात करें तो 198 संपत्तियों को निगम ने इस संबंध में नोटिस दिया है। इसमें से केवल 30 लोग स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट निगम को जमा करा पाए हैं। जबकि 111 लोग एक माह का नोटिस दिए जाने के बाद भी संबंधित दस्तावेज जमा कराने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इसी तरह उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 47 कॉपरेटिव सोसाइटियों को इस संबंध में नोटिस जारी किया गया था। इसमें से सात सोसायटियां ही स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट के लिए आगे आई हैं।

उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद निगमों ने स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट के लिए नोटिस जारी करने शुरू किए थे। इनमें लोगों को तय समय सीमा के भीतर स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट लेनी थी। इसके लिए सभी स्थानीय निकायों ने निगमों से मान्यता प्राप्त इंजीनियरों की सूची भी वेबसाइट पर सार्वजनिक की थी। निर्देशों के अनुसार लोगों को अपनी संपत्ति की स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट इन्हीं इंजीनियरों से लेकर निगमों को जमा करानी थी।

कोर्ट ने यह निर्देश अर्पित भार्गव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए थे। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि दिल्ली में 10 से 15 फीसदी निर्माण नियम के तहत हुए हैं। इसके अलावा दिल्ली में लगभग 1700 अनाधिकृत कॉलोनियां हैं, जिनके निर्माण में नियम कानून का पालन नहीं किया गया है। उसमें लगभग 50 लाख लोग रहते हैं। भूकंप आने की दशा में वहां बड़ा नुक़सान हो सकता है। बॉक्स

आरडब्ल्यूए के साथ भी बैठक कर रहे हैं निगम

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारी के अनुसार संपत्ति मालिकों से इस बारे में बातचीत कर स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट निगम को जमा कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कुछ लोगों ने स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट जमा कराई है। लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न रेजीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) की मदद भी ली जा रही है। आरडब्ल्यूए को इस संबंध में जागरूक किया जा रहा है कि वह किस माध्यम से अपनी आरडब्ल्यूए के भवनों की स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट जमा करा सकते हैं। बॉक्स

लगातार आए भूकंप के झटकों ने बढ़ाई थी चिता

दिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिए सबसे संवेदनशील इलाके में आता है। इस वर्ष डेढ़ दर्जन से ज्यादा बार दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके आ चुके हैं। इसके बाद लोगों की चिता बढ़ गई थी। क्योंकि भूकंप को लेकर दिल्ली सेसमिक जोन 4 में आता है जो कि भूकंप के लिहाज से खतरनाक है।


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