गली तो छोड़ मुख्य मार्गो पर रहती है दिनभर गंदगी
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने स्वच्छता रैकिंग में बेहतर प्रदर्शन न कर पान
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने स्वच्छता रैकिंग में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने को लेकर तंगहाली को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है, लेकिन निगम के कई इलाके ऐसे हैं जहां सफाई कर्मचारियों के ढीले रवैये की वजह से हमेशा गंदगी का अंबार लगा रहता है। संकरी गलियां साफ रहना तो दूर की बात है, बल्कि मुख्य मार्ग भी कई बार गंदगी से अटे पड़े रहते हैं। चाहे दरियागंज हो या फिर करोलबाग या फिर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के विभिन्न इलाकों में किसी भी समय गंदगी देखी जा सकती है। गंदगी फैलाने वालों पर भी निगम सख्ती से अभी कोई कार्य नहीं कर पाया है। स्वच्छता उप नियम लागू होने के बाद भी निगम केवल अभी नागरिकों को जागरूक करने में लगा है, जबकि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम गंदगी करने वाले करीब 25 हजार लोगों के चालान भी कर चुका है।
मर्जी से आते हैं सफाई कर्मचारी
उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र के लोगों का कहना है कि गंदगी के पीछे सबसे बड़ा कारण सफाई कर्मचारियों की मनमानी है। लोगों का कहना है कि सफाई कर्मचारी अपनी मर्जी से सफाई करने आते हैं। जब उनसे सफाई के लिए बोला जाता है तो वेतन देरी से मिलने का बहाना बना देते हैं। सफाई कर्मचारियों की लापरवाही का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के करोलबाग जैसे पॉश इलाके में डब्ल्यूएई ब्लॉक की एक गली कूड़े से अटी पड़ी है। तस्वीर को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कितने दिन से सफाई नहीं हुई होगी।
जनता भी नहीं करती शिकायत, कम मिलता है फीडबैक
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में स्वच्छता रैंक में खास बदलाव न होने के लिए नागरिक और प्रशासन दोनों जिम्मेदार हैं। एक तो नागरिक भी इधर-उधर कूड़ा फेंक देते हैं तो वहीं यहां से गुजरने वाले या यहां के आस-पास रहने वाले लोग भी बहुत कम शिकायत करते हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नागरिकों के फीडबैक में 1400 में से 947 ही अंक मिले, जबकि 170 पायदान की छलांग लगाकर 202 से 32 वें पायदान पर पहुंची दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को 1209 अंक मिले थे।
इतना ही नहीं, सेवाओं के सुधार में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 1400 में से 349 अंक ही मिले, जबकि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को 833 अंक मिले हैं। इसी तरह प्रत्यक्ष प्रदर्शन करने के मामले में दक्षिणी निगम को 987 अंक मिले तो इसके मुकाबले उत्तरी निगम को कुल 757 अंक मिले। यही एक बड़ा कारण था जिसकी वजह से उत्तरी निगम स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया। उत्तरी निगम को इस बार 206वी रैंक मिली है, जबकि पिछले वर्ष 279 रैंक थी।
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स्वच्छ भारत अभियान के बाद भी गंदगी में कोई बदलाव नहीं आया है। सफाई तो होती है, लेकिन वह संतोषजनक नहीं है, जबकि करोड़ों रुपये सफाई पर खर्च किया जा रहा है।
-अरुण मल्होत्रा, चांदनी चौक के व्यापारी।
नगर निगम वाले आते हैं, लेकिन काम ठीक से नहीं होता है। इसको लेकर शिकायत भी की जाती है तो कोई ठोस कार्रंवाई ही नहीं होती है।
-बदरी प्रसाद, करोल बाग, व्यापारी।
-केवल मुख्य सड़कों पर सफाई कभी-कभी दिखाई देती है, लेकिन अंदर गलियों की हालत बहुत खराब है। गलियों में सफाई कर्मचारी अपनी मर्जी से सफाई करने आते हैं।
-दर्शन कुमार, करोलबाग, व्यापारी।