वायु प्रदूषण फैलाने पर उत्तर रेलवे पर 71.62 लाख का जुर्माना
पर दिया। उन्होंने याचिका दायर कर रानी बाग शकूरबस्ती राजा पार्क पंजाबी बाग श्रीनगर मादीपुर के आसपास और शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन के पास अवैज्ञानिक तरीके से लोडिग और अनलोडिग के कारण वायु प्रदूषण का दावा किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि रेलवे के समक्ष कई प्रतिवेदन देने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन के आसपास सीमेंट की लोडिग व अनलोडिग के समय वायु प्रदूषण फैलाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बुधवार को उत्तर रेलवे पर 71.62 लाख रुपये जुर्माना लगाया। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी ) को जुर्माने की रकम वसूल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति आदर्श कुनार गोयल अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेषज्ञ समिति द्वारा दायर की गई रिपोर्ट पर विचार करने के बाद यह आदेश पारित किया।
पीठ के समक्ष दायर रिपोर्ट में समिति ने बताया कि उत्तर रेलवे ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने और सीमेंट की लोडिग और अनलोडिग में शामिल श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए उचित कार्रवाई नहीं की। एनजीटी ने इसके साथ ही सेंट्रल रेलवे वेयरहाउस (सीआरडब्ल्यूसी) से भी 28.65 लाख रुपये वसूलने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि उत्तर रेलवे पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के अपने कर्तव्य में को निभाने में विफल रहा है। ऐसे में पीठ के समक्ष पेश रिपोर्ट के तहत कार्रवाई करने की जरूरत है।
समिति में सीपीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत गर्गवा, आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. मुकेश खरे, आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ. मुकेश शर्मा और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य सचिव शामिल हैं। विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की कि उत्तर रेलवे को तत्काल प्रभाव से सीमेंट हैंडलिग संचालन को रोकने का निर्देश दिया जाए और और प्रदूषण नियंत्रण उपायों के लागू होने के बाद ही दोबारा परिचालन शुरू करने की अनुमति दी जाए। एनजीटी ने उक्त निर्देश दिल्ली निवासी अनुभव कुमार की याचिका पर दिया। उन्होंने याचिका दायर कर रानी बाग, शकूरबस्ती, राजा पार्क, पंजाबी बाग, श्रीनगर, मादीपुर के आसपास और शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन के पास अवैज्ञानिक तरीके से लोडिग और अनलोडिग के कारण वायु प्रदूषण होने का दावा किया था।