वक्फ बोर्ड के फैसले से पीरजादों में मचा हड़कंप
हजरत निजामुद्दीन औलिया साहब की मजार पर महिलाओं के प्रवेश को लेकर दरगाह सुर्खियों में आते ही दिल्ली वक्फ बोर्ड हरकत में आ गया है। दरगाह में हजरत निजामुद्दीन साहब की मजार के अलावा 30 से अधिक मजारें बनी हुई हैं। दरगाह की देखरेख पीरजादे करते हैं और जियारत के लिए आने वाले लोग जो चंदा देते हैं, उसे पीरजादे ही लेते हैं। वक्फ बोर्ड पीरजादों के हाथों से चंदा की रकम अपने हाथ में लेने की तैयारी पूरी कर चुका है। बोर्ड ने एक कमेटी बनाने का फैसला किया है, जिसमें करीब 15 सदस्य होंगे। वक्फ बोर्ड के इस फैसले से दरगाह के पीरजादों में हड़कंप मचा हुआ है।
शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली : हजरत निजामुद्दीन औलिया साहब की मजार पर महिलाओं के प्रवेश को लेकर दरगाह सुर्खियों में आते ही दिल्ली वक्फ बोर्ड हरकत में आ गया है। दरगाह में हजरत निजामुद्दीन साहब की मजार के अलावा 30 से अधिक मजारें बनी हुई हैं। दरगाह की देखरेख पीरजादे करते हैं और जियारत के लिए आने वाले लोग जो चंदा देते हैं, उसे पीरजादे ही लेते हैं। वक्फ बोर्ड पीरजादों के हाथों से चंदा की रकम अपने हाथ में लेने की तैयारी पूरी कर चुका है। बोर्ड ने एक कमेटी बनाने का फैसला किया है, जिसमें करीब 15 सदस्य होंगे। वक्फ बोर्ड के इस फैसले से दरगाह के पीरजादों में हड़कंप मचा हुआ है।
दिल्ली वक्फ बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि दरगाह वक्फ बोर्ड के अधीन आती है। यहां जो भी चंदा आता है, उस पर वक्फ बोर्ड का हक है। पीरजादों ने दरगाह को एक तरह से व्यवसाय बना दिया है, एक दरगाह पर कई पीरजादे हैं और वह रसीदें लेकर मजारों के बाहर खड़े रहते हैं। जब कोई अकीदतमंद आता दिखता है, वह उससे चंदा मांगने लगते हैं। जो चंदा दरगाह में आता है, वह कहां खर्च होता है इस बारे में कोई पीरजादा नहीं बताता।
वक्फ बोर्ड के चेयरमैन व विधायक अमानतुल्लाह खान ने बताया कि बोर्ड दरगाह में एक कमेटी बनाएगा। मुस्लिम समाज के जो जिम्मेदार लोग हैं, उनसे अपील की गई है वह कमेटी का सदस्य बनने के लिए अपने बायोडाटा के साथ बोर्ड के कार्यालय में आकर आवेदन करें। जो भी आवेदन आएंगे, उसमें से बोर्ड चिह्नित करेगा किसको दरगाह कमेटी का सदस्य बनाया जाए। यह कमेटी दरगाह में चंदे के लिए बॉक्स लगाएगी। कमेटी वहां पर क्या विकास कार्य होने हैं, इसका अध्ययन करेगी। जमा होने वाले चंदे की रकम को कहां खर्च करना है, इन सबका पूरा हिसाब रखेगी। उन्होंने कहा दरगाह में जो लोग अभी चंदा ले रहे हैं, कमेटी बनने के बाद वह चंदे का एक रुपया नहीं ले पाएंगे। जो कमेटी बनेगी उसके सदस्य दरगाह में ही बैठेंगे और गतिविधि पर नजर रखेंगे।
गौरतलब है कि इस दरगाह में सबसे चर्चित हजरत निजामुद्दीन और अमीर खुसरो की मजार है। दरगाह पर आम दिनों में पांच हजार अकीदतमंद पहुंचते हैं, लेकिन बृहस्पतिवार को जियारत का विशेष दिन माना जाता है, इस कारण यह संख्या आम दिनों के मुकाबले तीन गुना हो जाती है। दरगाह में उर्स होने के समय यह संख्या लाख तक पहुंच जाती है।