असुरक्षित आधी आबादी- जस्टिस उषा मेहरा रिपोर्ट पर आधा-अधूरा हुआ प्रयास
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद दिल्ली को महिलाओं
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद दिल्ली को महिलाओं के लिए महफूज बनाने के लिए जस्टिस उषा मेहरा आयोग ने केंद्र सरकार को 160 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें शिक्षा, समाज, चिकित्सा, परिवहन, सड़क से लेकर सुरक्षा इंतजामों को नए सिरे से परिभाषित करने को कहा था। आक्रोशित जनभावनाओं के दबाव में जब यह आयोग गठित हुआ और जब इसने सुझाव सौंपे, तब इसे लागू करने को लेकर केंद्र से लेकर दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, परिवहन विभाग, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम समेत अन्य जिम्मेदार संस्थानों ने न जाने कितने वादे किए, लेकिन चार वर्ष बाद भी वे इस पर चंद कदम ही चल सके हैं। इससे आज भी दिल्ली में आधी आबादी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है।
जस्टिस मेहरा ने रिपोर्ट में समाज में धार्मिक आधार पर महिलाओं से भेदभाव को खत्म करने पर जोर दिया था। ऐसे प्रयास करने को कहा था, जिससे कि समाज में महिलाओं को लेकर सम्मान बढ़े। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से समाज की सोच में बदलाव आया है। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को महिलाओं के लिए अन्याय बताने के केंद्र सरकार के निर्णय से मुस्लिम महिलाओं को धार्मिक आधार पर उत्पीड़न से आजादी मिली है। मेहरा आयोग ने स्कूलों के पाठ्यक्रम में योग शिक्षा को अनिवार्य करने का सुझाव दिया था, ताकि छात्रों को शरीर को दुरुस्त रखने के साथ मन और भावनाओं पर काबू पाने में मदद मिले। इसमें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में सराहनीय प्रयास हो रहा है।
आयोग ने दिल्ली पुलिस को सुझाव दिया था कि वह छात्रों से संवाद बढ़ाए और उन्हें कानून की जानकारी देते हुए सजग नागरिक बनाए। इस दिशा में कुछ प्रयास हुए हैं। कम्युनिटी पुलिसिंग पर भी कुछ काम आगे बढ़ा है, लेकिन पीसीआर वैन में सीसीटीवी कैमरा लगाने, पुलिस में महिलाओं की संख्या बढ़ाने और थानों की संख्या बढ़ाने का अभियान आधा-अधूरा है।
आयोग ने महिलाओं के प्रति आदर बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का सुझाव था। इसके लिए फिल्म अभिनेता, क्रिकेटर व नेताओं को आगे आने का सुझाव दिया गया था। सरकार की उपलब्धियों के विज्ञापनों की तर्ज पर महिलाओं के सम्मान को लेकर प्रचार अभियान चलाने का भी जिक्र किया था, लेकिन उसपर कोई काम नहीं हुआ है। सबसे चिंताजनक स्थिति यह कि अब भी दिल्ली की कई सड़कें अंधेरे में हैं। रात होते ही डीटीसी की बसें सड़कों से गायब हो जाती हैं, जबकि रात्रि सेवा के लिए विशेष बसें चलाने का सुझाव दिया गया था। सभी बसों में जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे लगाने का सुझाव था, जो लागू नहीं हुआ है। यातायात पुलिस और परिवहन विभाग के बीच तालमेल बढ़ाने का सुझाव था। जिस चलती बस में युवती से सामूहिक दुष्कर्म हुआ था, उसके मालिक ने गलत पते की जानकारी दी थी। उसका छह बार पहले भी चालान हो चुका था। उसके पास परमिट भी नहीं था, लेकिन वह बस चला रहा था। ऐसे हालात आज भी हैं।
सभी सार्वजनिक स्थलों, पुलिस स्टेशन, माल, बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे। केजरीवाल सरकार का चुनावी वादा भी यह था, लेकिन आज इस पर कोई जिक्र नहीं कर रहा है। उषा मेहरा ने अपनी रिपोर्ट में शराब के ठेके को राजस्व का जरिया मानने की सरकार की नीति पर चोट करते हुए सुझाव दिया था कि ये सार्वजनिक स्थानों, स्कूल, पार्क और कॉलोनियों में न हों। हर जिले में शराब की दुकानों की संख्या निर्धारित की जाए, लेकिन इस सरकार पर धड़ाधड़ शराब की दुकानें खोलने के आरोप लगे हैं। आबकारी विभाग व दिल्ली पुलिस की मिलीभगत से शराब की अवैध बिक्री की भी बात कही जा रही है। सार्वजनिक स्थानों पर महिला शौचालयों की अनिवार्यता पर जोर दिया गया था, लेकिन इस सुझाव पर नगर निगमों के उठाए गए कदम दिखावा ही हैं। चांदनी चौक जैसे अति व्यस्त बाजार में मुश्किल से आधा दर्जन ही महिला शौचालय हैं।