जानलेवा प्रदूषण रोकने को उठाए जाएं आपातकालीन कदम : हाई कोर्ट
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राजधानी में खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके वायु प्रदूषण को रो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
राजधानी में खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को केंद्र व दिल्ली सरकार को आपातकालीन कदम उठाने के आदेश दिए। न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट व न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने आदेश दिया कि वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए दिल्ली में कृत्रिम बारिश की जाए, ताकि हवा में फैली धूल हट सके। जब तक संभव हो दिल्ली में निर्माण कार्य पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। पर्यावरण मंत्रालय के सचिव तीन दिन के अंदर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ आपातकालीन बैठक करें।
एमिकस क्यूरी (कोर्ट मित्र) व वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वसदेव ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। इसके बाद अदालत ने ये आदेश दिए। कोर्ट ने दिल्ली के वायु प्रदूषण की तुलना 1952 में लंदन में हुए स्मॉग से करते हुए कहा कि निश्चित तौर पर यह जानलेवा है। पराली जलाने की समस्या तो हमें दिखाई दे रही है, लेकिन भयावह स्थिति के पीछे और भी बड़े कारण हैं। दिल्ली का वायु प्रदूषण वाहनों के धुएं, निर्माण कार्य व पराली जलाने का मिश्रित रूप है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि सड़कों पर जाम न लगे और यातायात कर्मियों को मास्क उपलब्ध कराए गए हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से वकील संजीव राली ने बताया कि प्रदूषण को कम करने के लिए शहर में पार्किंग फीस चार गुना बढ़ा दी गई है, आवश्यक वस्तुओं को ले जाने व निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध, मेट्रो और डीटीसी की सेवाओं में वृद्धि, सड़कों की सफाई, ईट-भट्ठों पर प्रतिबंध के साथ ही लकड़ी व कोयले के होटल में इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई है। कोर्ट पार्किंग फीस चार गुना करने के फैसले से सहमत नजर नहीं आया।