वायु प्रदूषण पर काम कम, जुबानी जंग ज्यादा
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : गैस चैंबर में तब्दील दिल्ली में राजनीतिक खींचतान तेज हो गई है। मुख्यमंत्री अर
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : गैस चैंबर में तब्दील दिल्ली में राजनीतिक खींचतान तेज हो गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को ट्वीट कर स्वीकार किया कि दिल्ली गैस चैंबर बन गई है, लेकिन इसका ठीकरा पड़ोसी राज्यों पर फोड़ा। केंद्रीय मंत्री से मुलाकात नहीं होने का भी जिक्र इस अंदाज में किया कि मानों मुलाकात हो जाती तो सबकुछ ठीक हो जाता।
गत वर्ष की तरह इस बार भी दिल्ली प्रदूषण के मामले में भी टॉप पर है। दिल्ली सरकार की मानें तो वायु प्रदूषण की यह स्थिति सिर्फ आसपास के राज्यों में पराली जलाए जाने की वजह से हुई है, जबकि विशेषज्ञ रिकॉर्ड वाहनों की संख्या से निकलने वाले धुएं व सड़कों व निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल को जिम्मेदार बता रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो की बात करें तो हकीकत यही है कि वायु प्रदूषण कम करने की दिशा में काम कम और जुबानी जंग अधिक हुई है।
मंगलवार सुबह प्रदूषण के हालात देखने के बाद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने सरकार को घेरते हुए आपातकालीन कदम उठाने की सलाह दी। इसके कुछ देर बाद केजरीवाल ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि दिल्ली गैस चैंबर बन गई है, हर साल इन दिनों दिल्ली प्रदूषण की समस्या से घिर जाती है। ऐसे में पड़ोसी राज्यों से पराली जलाने के कारण फैलने वाले प्रदूषण को रोकने का समाधान ढूंढ़ना होगा। दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों को बंद करने पर विचार किया जा रहा है।
कपिल मिश्रा ने भी ट्वीट के जरिए केजरीवाल पर हमला बोला। उन्होंने कहा तत्काल स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करें, स्कूल बंद करें और पिछले साल ऑड-इवेन फॉर्मूला लागू करने के समय निर्धारित 10 सूत्रीय एजेंडे की समीक्षा कर आपात कदम उठाएं। असफलता स्वीकार करें, अब काम करना शुरू करें। लोगों को मास्क बाटने, कार्यालयों के समय में बदलाव करने और टैंकरों के जरिये पानी का छिड़काव करने के सुझाव भी दिए। देर शाम तक सरकार ने इनमें से सिर्फ एक सुझाव को आंशिक रूप से माना। सरकार ने पांचवीं तक के बच्चों के लिए बुधवार को छुंट्टी घोषित कर दी। वायु प्रदूषण कम करने के लिए पिछले दिनों दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखा था। उनसे गुजारिश की थी वह दिल्ली के ऊपर हेलीकॉप्टर के जरिये पानी का छिड़काव कराने की अनुमति दें। मंगलवार को एक बार फिर केजरीवाल ने इसका जिक्र किया, लेकिन प्रतिक्रिया स्वरूप दिल्ली वालों ने मुख्यमंत्री को यह भी याद दिलाया कि जल बोर्ड के टैंकरों से ही सड़कों से धूल हटाने व निर्माण स्थलों का उड़ती धूल से निपटने के उपाय कर लें तो काफी हद तक राहत मिल जाएगी।