Delhi Mundka Fire: देखते-देखते लाशों के ढेर में तब्दील हो गई मुंडका में 4 मंजिला इमारत
Delhi Mundka Fire आग की चपेट में आई इमारत रोहतक रोड के किनारे है। ऐसे में आग की लपटें उठने से मेट्रो का परिचालन भी कुछ समय के लिए अवरुद्ध हो गया। आग पर आंशिक नियंत्रण के बाद परिचालन फिर से शुरू किया गया। शनिवार सुबह कोई दिक्कत नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण टीम। शुक्रवार का दिन देश के लिए ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ। जम्मू कश्मीर और देश की राजधानी दिल्ली में आग के 2 बड़े हादसों में 30 से अधिक लोगों की जान चली गई। पहले हादसे में जहां माता वैष्णो देवी के आधार शिविर कटड़ा से जम्मू के लिए निकली बस में कड़माल क्षेत्र में शुक्रवार शाम संदिग्ध हालात में भीषण आग लग गई। इसमें एक बच्चे और दो महिलाओं सहित चार यात्री जिंदा जल गए।
वहीं, पश्चिमी दिल्ली के मुंडका इलाके में शुक्रवार को 4 मंजिला इमारत में आग लगने से 27 लोग जिंदा जल गए। वहीं, कई लोगों ने छलांग लगाकर अपनी जान बचाई। इसमें दर्जनभर से अधिक लोग घायल भी हुए हैं। आग लगने की वजह शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। दिल्ली के मुंडका की इमारत में आग का हादसा इतना भीषण था कि लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला। कुछ लोगों ने तो इमारत से कूदकर अपनी जान बचाई तो कुछ बदनसीब जिंदा जल गए।
इस बीच दिल्ली पुलिस ने कोफे इंपैक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक अशोक कुमार और वरुण गोयल को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा से भी पुलिस पूछताछ कर रही है।
पहली मंजिल से उठीं लपटें
प्रारंभिक छानबीन के मुताबिक, इमारत की पहली मंजिल से धुआं और आग की लपटें उठीं, जहां सीसीटीवी कैमरे और राउटर निर्माण कंपनी का कार्यालय व गोदाम है। इस इमारत में अलग-अलग कंपनियों के कार्यालय हैं। घटना के समय कार्यालय में काफी लोग मौजूद थे। कुछ ने आग लगते ही भागने की कोशिश की, लेकिन ज्यादातर लोग वहीं फंस गए।
आग की भयावहता ऐसी थी कि पहली मंजिल पर लगी आग तुरंत ऊपरी मंजिलों तक फैल गई और इमारत से लपटें निकलने लगीं। दमकल विभाग को शाम 4:45 बजे आग लगने की जानकारी मिली। पुलिस और दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे और तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू किया। रात करीब 10 बजे तक आग को नियंत्रित कर लिया गया। इसके बाद कूलिंग का कार्य शुरू किया गया, जो पूरी रात जारी रहा।
चल रही थी बैठक, इमारत में मौजूद थे 150 से ज्यादा लोग
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिस समय आग लगी, उस समय प्रथम तल पर कर्मचारियों की बैठक चल रही थी। इसमें 50 कर्मचारी मौजूद थे। इसी बीच आग लगने की सूचना मिलते ही अफरातफरी मच गई। उस समय इमारत में 150 से ज्यादा लोग मौजूद थे।
लोगों ने रस्सी से कूदकर बचाई जान
जिन लोगों ने हिम्मत दिखाते हुए अपनी जान इस हादसे में बचाई, उनका कहना है कि जब नीचे उतरने के लिए वे सीढ़ी के पास पहुंचे तो पाया कि वहां आग की लपटें उठ रही हैं। सीढ़ी में आग और इमारत के भीतर फैले धुएं में लोग फंसे रह गए। रानीखेड़ा निवासी विमला बताती हैं कि कुछ ही दिनों पहले उन्होंने यहां काम करना शुरू किया था। जब आग लगी थी, वे तीसरी मंजिल पर थीं। जब सीढ़ी से वे नीचे की ओर नहीं जा सकीं तो इमारत के सामने वाले हिस्से पर लगी शीशे की परत को तोड़ना शुरू किया। इस बीच स्थानीय लोगों ने कुछ जगहों पर शीशे को तोड़ा था। तभी उन्हें दमकल की हाईड्रोलिक क्रेन नजर आई। एक रस्सी इनकी ओर फेंकी गई। विमला ने हिम्मत दिखाई और रस्सी पकड़ झूल गईं।