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विश्व जल दिवस 2021: जलाशयों में संग्रहित हो साफ पानी तो बढ़ेगा भूजल स्तर

विश्व जल दिवस पर केंद्र सरकार ने कैच द रेन अभियान की शुरुआत की है। जल संग्रहण और भूजल रिचार्ज के लिए जलाशय प्रमुख स्त्रोत होते हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जलाशयों व झीलों की कभी कमी नहीं थी लेकिन सैकड़ों जलाशय तेज विकास और अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 12:25 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 12:25 PM (IST)
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जलाशयों व झीलों की कभी कमी नहीं थी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विश्व जल दिवस पर केंद्र सरकार ने कैच द रेन अभियान की शुरुआत की है। जल संग्रहण और भूजल रिचार्ज के लिए जलाशय प्रमुख स्त्रोत होते हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जलाशयों व झीलों की कभी कमी नहीं थी, लेकिन सैकड़ों जलाशय तेज विकास और अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए। जो जलाशय बचे हैं उनमें भी करीब 110 जलाशय सीवरेज के गंदे पानी से भरे हैं। इसके अलावा 338 जलाशयों में पानी नहीं होता।

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विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि जलाशयों में जल संग्रहण की व्यवस्था की जाए तो ये भूजल रिचार्ज में मददगार साबित होंगे। जल बोर्ड ने 155 जलाशयों के जीर्णोद्धार के लिए पहल भी की है। दिल्ली में पहले कुल 1,061 जलाशय थे, जबकि राजस्व रिकार्ड में 629 जलाशय दर्ज थे। इनमें से 110 तालाबों में सीवर का गंदा पानी भरा होता है। दिल्ली में गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर वर्ष 2006-07 में दिल्ली के सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग ने जलाशयों के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया था।

इसके तहत करीब 250 तालाबों का पक्कीकरण किया गया, लेकिन जलाशयों में बारिश का पानी संग्रहण के लिए उपयुक्त इंतजाम नहीं किए जाने से इसका खास फायदा नहीं हुआ। कुछ साल पहले दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसायटी द्वारा किए गए सर्वे में दिल्ली में एक हजार से अधिक जलाशय होने की बात सामने आई थी। इसमें से 40 जलाशयों का नामोनिशान मिट चुका है। 342 जलाशयों का पहले सरकारी दस्तावेजों में कोई रिकार्ड नहीं था। 338 जलाशय सूखे रहते हैं। वहीं 168 जलाशयों पर अतिक्रमण है और 117 जलाशयों की जमीन पर निर्माण हो चुका है।

जल बोर्ड ने 376 करोड़ की लागत से 155 जलाशयों के जीर्णोद्धार की योजना तैयार की है। इनमें से 83 जलाशयों के पुनर्जीवन के लिए नीरी (राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान) व 72 जलाशयों के जीर्णोद्धार के लिए कई अन्य एजेंसियों की मदद ली जा रही है।

यह काम पूरा होने पर जिन जलाशयों में गंदा पानी भरा होता है, उनमें सीवरेज का गंदा पानी गिरना बंद होगा। चेन्नई की तर्ज पर हो जल संग्रहणयमुना जिये अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा ने कहा कि बारिश का पानी जहां गिरे वहीं एकत्रित कर भूजल रिचार्ज किया जाए, यह बात पहले से कही जाती रही है, लेकिन इसे हकीकत में जमीन पर उतारने की जरूरत है।

नीति आयोग ने कहा है कि दिल्ली में बहुत जल्द भूजल खत्म हो जाएगा। इसके लिए चेन्नई की तर्ज हर मकान में वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था कर भूजल रिचार्ज की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए सरकार, स्थानीय प्रशासन, मीडिया और गैर सरकारी संगठनों सबको मिलकर काम करना होगा। राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते दिल्ली में सबसे ज्यादा सरकारी भवन हैं।

सभी सरकारी भवनों, स्कूल, अस्पताल व पार्को में वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा प्राकृतिक जलाशयों का जीर्णोद्धार जरूरी है, लेकिन अब तक सिर्फ खानापूर्ति ही होती रही है। यही वजह है कि अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे।


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