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सीरियल छोड़ने को लेकर यह क्या बोल गईं 'भाभी जी घर पर हैं...' की सौम्या टंडन

सौम्या टंडन का कहना है कि मुझे इस काम में बहुत मजा आ रहा है। जब तक ऐसा है तब तक मैं इसमें काम करती रहूंगी।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 07 Aug 2017 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 07 Aug 2017 09:23 PM (IST)
सीरियल छोड़ने को लेकर यह क्या बोल गईं 'भाभी जी घर पर हैं...' की सौम्या टंडन

फरीदाबाद (जेएनएन)। टेलीविजन का दायरा आज फिल्मों से भी आगे निकल गया है। इसकी पहुंच देश के हर कोने और हर वर्ग-हर घर तक है और यही वजह है कि यह जागरूकता व सामाजिक संदेशों का बेहतर मंच साबित हो रहा है। दरकार है तो टीवी सीरियल्स के विषयों में बदलाव की। घिसे-पिटे कंटेंट की जगह दमदार स्टोरी बनाने की। साइबर सिटी में एक कार्यक्रम में शामिल होने किंगडम ऑफ ड्रीम्स पहुंची ‘भाभी जी घर पर हैं’ फेम सौम्या टंडन से इन सभी विषयों पर दैनिक जागरण की वरिष्ठ संवाददाता प्रियंका दुबे मेहता ने बातचीत की। प्रमुख अंश:

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1. 'भाभी जी घर पर हैं', पर हैं टेलीविजन सीरियल से आपने घर-घर में अपनी पहचान बना ली है। आपको एक सीरियल के चयन से इतनी सफलता की उम्मीद थी?

- इस सीरियल ने कॉमेडी सीरियल्स की एकरसता को तोड़ा है। यही वजह है कि इसको इतना पसंद किया जा रहा है। इस सीरियल में किरदारों को लेकर कभी कंफ्यूजन की स्थिति नहीं रही। मैंने इस सीरियल की स्क्रिप्ट को देखकर काम शुरू किया था और धीरे-धीरे इसका हर कैरेक्टर लोकप्रिय हो गया। मैं जहां हूं, वहां खुश व संतुष्ट हूं। उम्मीद नहीं थी कि एक सीरियल इतनी लोकप्रियता दिलाएगा।

2. टीवी इंडस्ट्री में मिली इतनी सफलता के बाद क्या अब फिल्मों के बारे में भी कुछ सोच रही हैं?

- फिलहाल तो मैं ‘भाभीजी’ में ही इतनी व्यस्त हूं कि किसी और चीज के बारे में सोचने की भी फुर्सत नहीं है, लेकिन अच्छी फिल्म व स्क्रिप्ट पर काम करने का अवसर मिलेगा तो मैं जरूर करूंगी। मैं दमदार स्क्रिप्ट व वूमेन ओरियंटेड फिल्मों में काम करना चाहती हूं। अब वह समय नहीं रह गया कि टीवी के बाद की मंजिल फिल्में हुआ करती थी। टीवी का दायरा आज फिल्मों से कहीं अधिक है। टीवी की पहुंच हर वर्ग तक है। आज फिल्म प्रमोशन के लिए भी लोग टीवी सीरियल्स का सहारा ले रहे हैं।

3. टीवी इंडस्ट्री अपनी लोकप्रियता के चरम पर है, क्या इस लोकप्रियता को बनाए रखने के लिए इस क्षेत्र में कुछ बदलावों की जरूरत है?

- हां, अभी इंडस्ट्री को उस स्टीरियोटाइप से उबरना बाकी है। डेली शॉप्स व कॉमेडी में अभी उतना दमदार कंटेंट नहीं आ पा रहा है। वहीं फिल्मों में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। वहां पर नए डायरेक्टर्स आ रहे हैं, नए प्रयोग कर रहे हैं व उन्हें सराहना भी मिल रही है लेकिन टीवी के क्षेत्र में वही चीजें सालों से चल रही हैं। फिलहाल कंटेंट के मामले में टीवी इंडस्ट्री का हाल फिल्मों के 90 के दशक सा हो गया है जहां एक से सीरियल, एक जैसे किरदार व एक जैसे विषय चल रहे हैं। इनमें बदलाव की जरूरत है।

4. कुछ समय पहले आपके सीरियल को छोड़ने की खबरें आ रही थी...?

- मुझे इस काम में बहुत मजा आ रहा है। जब तक ऐसा है तब तक मैं इसमें काम करती रहूंगी।

5. गुरुग्राम अन्य शहरों से कितना अलग पाती हैं?

- मैं दिल्ली में पढ़ी हूं। गुरुग्राम मेरे लिए दूसरे घर जैसा था, लेकिन आज यह शहर वह नहीं रहा। इतना विकास इतने कम समय में किसी और शहर में नहीं देखा। इसमें दिल्ली का फ्लेवर भी है और विदेश के बड़े शहरों की झलक भी मिलती है।


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