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अशिक्षा के अंधियारे संग छात्रों की तकलीफें भी हर रहीं भारती, आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दिया स्मार्टफोन

कोरोना महामारी के दौरान शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से आनलाइन हो गई थी। ब्लैक बोर्ड और चाक की जगह स्मार्टफोन ने ले ली थी। आनलाइन व्यवस्था का सबसे ज्यादा नुकसान आर्थिक तौर पर कमजोर तबके के छात्रों को उठाना पड़ा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 04:07 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 04:07 PM (IST)
एक छात्र ने मांगी थी मदद तब शुरू किया दूसरों को हेल्प का अभियान।

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। मां सिद्धिदात्री, नाम से ही स्पष्ट है, सब कुछ संतानों और समाज को देने वाली स्त्री। अपने अनुभव, ज्ञान और दर्शन से दिशा प्रदान करने वाली महिलाओं में मां के इस स्वरूप के दर्शन होते हैं। रोहिणी सेक्टर आठ स्थित सर्वोदय कोएड विद्यालय की उप प्रधानाचार्य भारती कालरा मां के इस स्वरूप का जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने जरूरतमंद छात्रों की मदद कर गुरु-शिष्य के बीच ऐसा रिश्ता स्थापित किया है जो वाकई प्रेरणादायक है। 23 साल से बतौर शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत भारती न सिर्फ अपने ज्ञान और अनुभव से छात्रों को बेहतर नागरिक बनने के लिए मार्गदर्शित कर रही हैं, बल्कि वे उनकी जरूरतों का भी ध्यान रखते हुए उन्हें आर्थिक सहायता पहुंचा रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनके दिए गए योगदान के लिए दिल्ली सरकार ने उन्हें वर्ष 2021 में राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित भी किया है।

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लाकडाउन के दौरान बांटे 321 स्मार्टफोन

कोरोना महामारी के दौरान शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से आनलाइन हो गई थी। ब्लैक बोर्ड और चाक की जगह स्मार्टफोन ने ले ली थी। आनलाइन व्यवस्था का सबसे ज्यादा नुकसान आर्थिक तौर पर कमजोर तबके के छात्रों को उठाना पड़ा। भारती बताती हैं कि एक ओर छात्रों में कोरोना का खौफ था तो दूसरी ओर स्मार्टफोन न होने से पिछड़ती पढ़ाई का।

स्मार्टफोन की कमी से कम बच्चे ही आनलाइन कक्षा से जुड़ते थे

स्कूल के समक्ष ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती थी बोर्ड के छात्रों की पढ़ाई सुनिश्चित कराना, क्योंकि स्मार्टफोन न होने से 10वीं और 12वीं के केवल 30 फीसद छात्र ही आनलाइन कक्षा में जुड़ते थे। इस बीच एक दिन एक छात्र स्कूल आया और उसने कहा, ‘मैडम मैं मोबाइल नहीं खरीद सकता, मेरे पापा की कोरोना महामारी के दौरान नौकरी चली गई है।’

कुल 321 स्मार्टफोन छात्रों को दिए

छात्रों के जाने के बाद मैंने निर्णय लिया कि चाहे खुद के रुपये से स्मार्टफोन खरीद कर छात्रों को देने पड़े, लेकिन अब उनकी शिक्षा में वो किसी भी तरह की रुकावट नहीं आने देंगी। उन्होंने रिश्तेदारों व परिवार के लोगों से सहायता मांगी। फिर क्या था उनकी पहल रंग लाई। बच्चों की पढ़ाई खराब होने से बचाने के लिए किसी ने एक फोन तो किसी ने दो फोन भेज दिए। इस तरह कुल 321 स्मार्टफोन छात्रों को दिए गए।

माताओं को दे रही पांच हजार प्रति माह

भारती बताती हैं कि कोरोना महामारी ने उनके स्कूल के छात्रों से उनके अपनों की जिंदगियों को छीन लिया। किसी-किसी के घर में तो एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति की ही मृत्यु हो गई। ऐसे में छात्र बीच में ही शिक्षा न छोड़ दे तो उन्होंने इन छात्रों की भी मदद करने का सोचा। वे बताती हैं कि उनके स्कूल में 10 परिवारों के कुल 25 ऐसे बच्चे हैं, जिनके पिता की कोरोना से मौत हो चुकी है। ऐसे में वह इन बच्चों की माताओं को पांच हजार रुपये प्रतिमाह देकर आर्थिक मदद भी कर रही हैं। उन्होंने 10वीं और 12वीं में टाप तीन-तीन छात्रों को लैपटाप उपलब्ध कराएं हैं। 10वीं की एक जरूरतमंद छात्र को 2500 रुपये प्रति माह दिलवा रही हैं।

देशभक्ति पार्क का निर्माण करवाया

छात्रों में राष्ट्रवाद की भावनाओं को जगाने और उन्हें एक सच्चा देशभक्त बनाने के लिए भारती ने अपने पैसे से स्कूल परिसर में देशभक्ति पार्क भी बनवाया है। वे बताती हैं कि इसमें उनके स्कूल के प्रधानाचार्य अवधेश झा ने भी उन्हें आर्थिक तौर पर सहायता की। ‘देशभक्ति पार्क’ में भारती ने देश के नायकों की मूर्तियां लगवाई हैं।


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