यूं ही चला मोदी मैजिक तो आठ माह बाद दिल्ली की सत्ता से बाहर हो जाएगी AAP!
जिस तरह भाजपा के सातों प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया है उससे तो लगता है कि भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। Delhi Lok Sabha Election Result 2019ः इस बार भी प्रचंड मोदी लहर के बल पर दिल्ली की सातों सीटों (नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, उत्तरी पूर्वी दिल्ली, उत्तरी पश्चिमी दिल्ली और चांदनी चौक) पर बड़े अंतर से जीत हासिल करने जा रही भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के लिए वर्ष 2020 भी शुभ होने वाला है। दरअसल, जिस तरह भारतीय जनता पार्टी के सातों प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया है, उससे तो लगता है कि भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। इस हाल में कांग्रेस दूसरे तो दिल्ली में पांच साल तक सत्ता चलाने वाली आम आदमी पार्टी (Aam aadmi Party) तीसरे स्थान पर खिसक जाएगी, यानी पहले से सीधे तीसरे स्थान पर। बता दें कि वर्ष-2014 में हुई दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP ने दिल्ली 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटों हासिल कर इतिहास रचा था, जबकि भाजपा को सिर्फ तीन सीटें तो कांग्रेस शू्न्य पर सिमट गई थी।
2014 से भी बेहतर प्रदर्शन है इस बार भाजपा का
जैसा कि पूर्व में कहा जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को सत्ता विरोधी लहर (Anti-incumbency) का सामना करना पड़ेगा, लेकिन हुआ इसके उलट। सच तो यह है कि दिल्ली में भाजपा 2014 की तुलना में Lok Sabha Election 2019 में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करती नजर आ रही है। फिलहाल चल रही मतगणना में दिल्ली में भाजपा के उम्मीदवार 7 में से 3 सीटों पर 2 लाख वोटों से आगे चल रहे हैं। पूर्वी दिल्ली, उत्तरी पूर्वी दिल्ली और उत्तरी पश्चिमी दिल्ली में 2 लाख वोटों से ज्यादा की बढ़त है।
...तो दो तिहाई बहुमत से बनेगी दिल्ली में BJP सरकार
ऐसे में जाहिर है यह आंकड़ा जैसाकि उम्मीद है कायम रहेगा, तो भाजपा अगले एक साल के भीतर होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में सत्ता में आएगी वह भी बंपर जीत के साथ। जो जानकारी मिल रही है कि उसके हिसाब से उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली 10 विधानसभा में से 8 पर उम्मीदवार मनोज तिवारी बंपर जीत हासिल कर रहे हैं। कहने का मतलब इस अनुपात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 10 में से 8 सीटें मिलेंगी।
पूर्वी दिल्ली से पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर करीब 54 पर्सेंट वोटों से आगे हैं, जबकि अनुभवी कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली को 25 फीसदी वोट मिले हैं और AAP प्रत्याशी आतिशी मार्लेना करीब 17 पर्सेंट वोटों के साथ तीसरे नंबर पर चल रही हैं। यहां पर भी विधानसभा चुनाव के लिहाज से आधी से ज्यादा सीटें जीतेगी।
कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार
2014 के लोकसभा चुनाव में आम अादमी पार्टी के उम्मीदवारों को कांग्रेस पर बढ़त मिली थी। दिल्ली की सातों सीटों पर AAP उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे और भाजपा प्रत्याशियों को टक्कर दी थी, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन सर्वाधिक खराब था। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन सुधारा है। इस बार कांग्रेस के वोट प्रतिशत में भी थोड़ा सुधार आया है। यही वजह है कि 7 में से 5 सीटों पर कांग्रेस साफ-साफ दूसरे नंबर की पार्टी बनती दिख रही है। उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा सीटपर मनोज तिवारी करीब आधे वोटों से शीला दीक्षित से आगे चल रहे हैं, वहीं दिग्गज नेता हर्षवर्द्धन भी चांदनी सीट से अच्छे अंतर से आगे हैं। दिल्ली में सबसे बड़ा झटका आम आदमी पार्टी को लगता नजर आ रहा है क्योंकि पार्टी अब दूसरे से तीसरे नंबर की पार्टी बनती दिख रही है।
... आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं बन पाएगी
राजनीति के जानकारों को मानना है कि अगर लोकसभा चुनाव-2019 में मिले मतों को दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 से तुलना करके देखा जाए, तो अगले साल दिल्ली से आम आदमी पार्टी सरकार सत्ता से बेदखल हो रही है। इतना ही नहीं, उसका स्थान कांग्रेस को मिलने जा रहा है, क्योंकि 7 में से 5 सीटों पर कांग्रेस पार्टी भाजपा के मुकाबले दूसरे स्थान पर है।
मुस्लिमों का कांग्रेस को गया वोट?
जैसा कि पहले कहा जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ दिल्ली में भी मुस्लिम मतों का बंटवारा कांग्रेस और AAP के बीच होगा, लेकिन नतीजों को देखने से ऐसा लगता नहीं। ऐसा लग रहा है कि दिल्ली में मुस्लिम मत कांग्रेस के पास लौटे हैं। चांदनी चौक और उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर इसका नजारा साफ देखा जा सकता है। इस पर सीट पर 2014 में हर्ष वर्धन ने आशुतोष का हराया था, लेकिन इस बार कांग्रेस के जेपी अग्रवाल ने हर्षवर्धन को ठीकठाक टक्कर दी और AAP उम्मीदवार पंकज गुप्ता काफी पीछे रहे। इस बार लगता है कि मुस्लिमों ने दिल खोलकर वोटों के जरिये अपना प्यार लुटाया है। दरअसल, चांदनी चौक में अच्छी-खासी मुस्लिम आबादी है जो कांग्रेस के समर्थन में मुखर थी।
क्या सच साबित हुआ केजरीवाल का दावा
राजनीति के जानकारों की मानें तो दिल्ली में ज्यादातर मुस्लिम कांग्रेस के साथ जाते दिखे, जबकि AAP को भी ठीक-ठाक समर्थन मिला। तर्क यह रहा कि कांग्रेस ही 'राष्ट्रीय स्तर पर विभाजनकारी राजनीति' को पराजित कर सकती है। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान बाकी था, लेकिन उससे पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बड़ा बयान दिया था। केजरीवाल ने दावा किया था कि दिल्ली में चुनाव से कुछ वक्त पहले ही माहौल बदला और मुस्लिम वोटर कांग्रेस की ओर रुख कर गए। इससे पहले राजधानी की सभी 7 सीटों पर जीत का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल का कहना है कि मुस्लिम वोटरों के शिफ्ट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदों पर असर पड़ेगा। ऐसे में कयास लगना स्वाभाविक है कि क्या केजरीवाल का दावा सही था?
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