पत्नी की मानसिक क्रूरता बन सकता है तलाक का आधार, HC से भी शख्स को मिली राहत
पीठ ने कहा कि महिला और उसके पिता द्वारा पुरुष के खिलाफ की गई सभी शिकायतों को ध्यान में रखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि महिला ने पति के साथ मानसिक क्रूरता की।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पारिवारिक न्यायालय द्वारा पत्नी द्वारा दहेज मांगने के झूठे आरोप लगाकर मानसिक क्रूरता करने के आधार पर एक न्यायिक अधिकारी को तलाक देने के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि आवेदक (पत्नी) ने पति पर क्रूरता की है और उन पर झूठे आरोप लगाकर जिंदगी को दुखी बना दिया था।
इसी के साथ पीठ ने कहा कि चार अलग-अलग जांच अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि पति का उत्पीड़न होता था। पीठ ने कहा कि इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश के बाद एक फिर जांच हुई थी और जांच अधिकारी ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। इसमें भी पत्नी का आचरण सही नहीं पाया गया था। पीठ ने कहा कि महिला और उसके पिता द्वारा पुरुष के खिलाफ की गई सभी शिकायतों को ध्यान में रखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि महिला ने पति के साथ मानसिक क्रूरता की।
पीठ ने रिकॉर्ड पर लिया कि महिला और उसके पिता ने 2001 में राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत सभी जिला न्यायाधीशों से शिकायत की थी।
पीठ ने कहा कि महिला ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि पति द्वारा तलाक की मांग करने पर उसने पति को सबक सिखाने के लिए सभी शिकायतें दर्ज की थीं। न्यायिक अधिकारी की महिला से 1995 में शादी हुई थी और उनके दो बच्चे हैं। दोनों बच्चे वर्ष 2001 से मां के साथ रह रहे हैं।