Move to Jagran APP

दिल्ली-NCR में रहते हैं तो जरूर पढ़ें यह स्टोरी, हेल्थ चाहिए तो तत्काल अपनाएं ये उपाय

वर्ष 2017 में हुए एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली एनसीआर के 80 प्रतिशत लोग मोटापे का शिकार हैं और कई अन्य तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 03:24 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 04:41 PM (IST)
दिल्ली-NCR में रहते हैं तो जरूर पढ़ें यह स्टोरी, हेल्थ चाहिए तो तत्काल अपनाएं ये उपाय
दिल्ली-NCR में रहते हैं तो जरूर पढ़ें यह स्टोरी, हेल्थ चाहिए तो तत्काल अपनाएं ये उपाय

नई दिल्ली/गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। दिल्ली-एनसीआर की भागदौड़ भरी व्यस्त जिंदगी में स्वास्थ्य कहीं हाशिए पर चला गया है। जिंदगी की जद्दोजहद में लोगों का रात की शिफ्ट में काम करना, कार्यस्थल और घर के बीच लंबी ड्राइविंग और फिर थकान मिटाने व सुकून की चाह में देर रात की पार्टी करना जीवनशैली का हिस्सा बन रहा है। कम उम्र में बड़ी बीमारियां, अनचाही परेशानियां और शारीरिक और मानसिक विकृतियां इस दौर की समस्या बनने लगी हैं। हाल के वर्षो में हुए सर्वेक्षणों में पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर में लोगों का स्वास्थ्य जीवनशैली की बलि चढ़ रहा है। कम उम्र में ही मोटापा, तनाव, अवसाद और इनसे जनित हृदय संबंधी बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में लेने लगी हैं।

loksabha election banner

सर्वेक्षणों में झलकती बीमार एनसीआर की तस्वीर
वर्ष 2017 में हुए एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली एनसीआर के 80 प्रतिशत लोग मोटापे का शिकार हैं। 2018 के एक सर्वे के मुताबिक 31 से 50 वर्ष की उम्र के 70 प्रतिशत लोग मोटापे से जूझ रहे हैं। वर्ष 2018 में आई ‘जुवेनाइल ओबेसिटी’ सर्वे रिपोर्ट में दिल्ली-एनसीआर के 35 प्रतिशत किशोर मोटापे का शिकार पाए गए। इसके अलावा 2018 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा किए गए एक सर्वे में दिल्ली के स्कूलों का हर तीसरा बच्चा मोटापे व उससे पैदा हुई परेशानियों से जूझ रहा है। इन सभी अध्ययनों में पता चलता है कि बच्चों से लेकर बड़ों तक में लाइफस्टाइल बीमारियां हैं।

नाइट शिफ्ट ने बिगाड़ी सेहत
दिल्ली एनसीआर की बीपीओ कंपनियों का हाल ऐसा है कि यहां काम करने वालों की प्राकृतिक दिनचर्या बदल जाती है। कंपनियों में काम करने वाले युवा अक्सर नाइट शिफ्ट करते हैं। ऐसे में उन्हें अनिद्रा जैसी बीमारियां तो हो ही रही हैं, साथ ही शोधों में सामने आया है कि यह मॉलीक्यूलर स्तर पर भी स्वास्थ्य को बिगाड़ रही है। मनोचिकित्सक डॉ. ब्रह्मदीप सिंधू के मुताबिक एक सर्वे में पाया गया था कि तकरीबन छह प्रतिशत जींस एक विशेष समय पर सक्रिय अथवा निष्क्रिय रहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो यह जीवनशैली का हिस्सा बन जाते हैं और शरीर इसी हिसाब से ढल जाता है। इसमें बदलाव से समस्या हो सकती है।

शरीर के साथ मानसिक फिटनेस जरूरी
पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल (अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन व पूर्व अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) का कहना है कि सबसे पहले हमें यह समझने की जरूरत है कि जीवन में फिट होने का मतलब क्या होता है। फिटनेस का मतलब होता है शारीरिक व मानसिक रूप से फिट होना।

यदि आप शारीरिक रूप से फिट होने के साथ-साथ मानसिक रूप से खुश हैं तो आप पूरी तरह से फिट हैं। इसमें यदि शारीरिक फिटनेस की बात करें तो यदि हम छह मिनट में 500 मीटर की दूरी का सफर तय कर लेते हैं तो हम शारीरिक रूप से फिट हैं। यदि शरीर के आतंरिक रूप से फिट होने की बात करें तो इसमें नीचे का ब्लड प्रेशर(डायस्टॉलिक बीपी), पेट की चौड़ाई, फास्टिंग शूगर व गंदे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 80 से कम है तो आप आंतिरक यानी कैमिकली रूप से भी फिट हैं।

अब बात करते हैं कि मानसिक रूप से फिट होने की। इसमें यदि दिल की गति 80 से कम है तो आप मानसिक रूप से भी फिट है। क्योंकि, आप जितना तनाव लेंगे उतना ही आपके दिल की गति भी बढ़ेगी और इसके साथ साथ आपकी बीमारियां भी बढ़ेंगी। आपके जीवन में चाहे सुख आए या फिर दुख आए आपको इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। हमें खुद को इस तरह से तैयार करना होगा कि हमारे जीवन में सुख व दुख दोनों ही समान हैं। इसमें सच बात यह भी है कि जीवन में मानसिक रूप से खुश होना शारीरिक रूप से खुश होने से कही ज्यादा जरूरी है। शारीरिक रूप से फिट होने के लिए आप दिनभर में जितना अधिक चल सकते हैं उतना अधिक चलें।

वहीं, यदि खाने पीने की बात करें तो शारीरिक रूप से फिट होने के लिए यह जरूरी नहीं है कि पूरे दिनभर में आप कितनी खराब चीजों का सेवन कर रहे हैं, बल्कि इसमें यह जरूरी है कि खराब चीजों के साथ साथ दिनभर में आप कितनी अच्छी चीजों का सेवन कर रहे हैं। जैसे कि आपका मन है कि मुङो गोलगप्पे खाने हैं तो आप इसे खाएं, लेकिन इसके अलावा आपकों फल आदि का भी सेवन करना है।

वहीं, जीवन में मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने जीवन में योग में प्रणायाम को शामिल करना चाहिए। क्योंकि, प्रणायाम करते ही हमारे मस्तिष्क को शांति मिलती है व हमारा सारा तनाव दूर हो जाता है व दिल की धड़कन भी संतुलित हो जाती है। यह भी है आज के युवा जिस तरह से योगा को कम जिम को अधिक तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे में खुद को शारीरिक रूप से फिट बनाने के लिए यह भी एक अच्छा प्रयास है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि आज दिल्ली जैसे शहर में खुली हवा व खुले स्थानों की कमी है। इस कारण नियमित रूप से जिम कर भी खुद को फिट बनाया जा सकता है।

डॉ. लिली सिंह (डेंटल सर्जन एवं मॉडल, वसंत कुंज) के मुताबिक, फिट और स्वस्थ रहने के लिए मैं नियमित रूप से योग करती हूं। नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करके कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ रह सकता है। संतुलित आहार और मात्र बीस मिनट का व्यायाम अपने आप को फिट रखने के लिए कोई बड़ा निवेश नहीं है। वर्तमान समय में फिटनेस को लेकर चुनौतियां बढ़ गई हैं। इसके लिए हमें अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है।

सारिका पांडा भट्ट ( राहगीरी संस्थापक टीम की सदस्या) का कहना है कि  लाइफस्टाइल जनित बीमारियों को देखकर स्वास्थ्य को लेकर लोगों की आंखें खुली हैं। लोग अब किसी न किसी फिटनेस ग्रुप से जुड़कर अपने आप को स्वस्थ बना रहे हैं।जीवनशैली में बदलाव बहुत जरूरी हो गया है। ऐसे में लेट नाइट पार्टी, अल्कोहल, और जंक फूड को छोड़ना होगा। हेल्दी होने का एक ही मंत्र है किसी न किसी रूप में व्यायाम।

 मनु कालरा (संस्थापक फिटनेस की पाठशाला) की मानें तो आज के दौर में जहां घर से लेकर कार्यस्थल तक पर तनाव व काम का बोझ है उसमें हमें चाहिए कि हम फिटनेस रुटीन बनाएं। स्वास्थ्य है तो सबकुछ है। ऐसे में हमारी कोशिश रहती है कि हम दिल्ली एनसीआर के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फिटनेस जागरूकता को फैलाएं। लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव करके निश्चित रूप से स्वस्थ जीवन पाया जा सकता है। 

31 से 50 वर्ष की आयु के 70 प्रतिशत लोग मोटापे से जूझ रहे हैं
फिटनेस एप्स आजकल लोगों के फिटनेस गाइड बने हुए हैं। इन दिनों लाइफ स्टाइल का हिस्सा बने इन एप्स की दीवानगी इस कदर लोगों के दिलो दिमाग पर हावी हो गई है कि लोग अपनी सेहत ही नहीं बल्कि पूरे रुटीन की बागडोर उसी के हाथों सौंप रहे हैं। कब उठना, कब सोना, कब खाना और कब बाहर जाना है, यह सब एप्स कंट्रोल कर रहे हैं। फिटनेस एक्सपर्ट याश्मीन मानक का कहना है कि फिटनेस के लिए काफी हद तक तो अनुशासित लाइफस्टाइल ठीक है, लेकिन पूरी तरह किसी एप या गैजेट के वश में होना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर उल्टा असर डालता है।

पिछले कुछ समय से फिटनेस जागरूकता की एक लहर उठी और लोग योग, व्यायाम और वॉकिंग से जुड़ने लगे। इसमें सोशल मीडिया का भी अहम किरदार रहा कि लोग एक दूसरे को देखकर प्रेरित हुए और आज यह स्थिति है कि फिटनेस से हर आयुवर्ग के लोग जुड़ गए हैं।

अब लोग फिटनेस को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना रहे हैं। चाहे कामकाजी हों या फिर घरेलू, युवा हों या फिर उम्रदराज। हर वर्ग में फिटनेस को लेकर जो क्रेज बढ़ा है इसका नतीजा यह हुआ कि एक एप के फिटनेस सर्वे में 200 शहरों में दिल्ली पहले व गुरुग्राम टॉप टेन शहरों की फेहरिस्त में शामिल किया गया है। हेल्दीफाई मी एप के एक सर्वे के मुताबिक हेल्थ व फिटनेस को लेकर दिल्ली एनसीआर के लोग सबसे अधिक जागरूक हुए हैं।

दिल्ली-NCR की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.