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Hailey Road News: उपनिवेशवाद को मजबूत करने वाले के नाम पर देश की राजधानी में सड़क क्यों?

Hailey Road News उपनिवेशवादी ताकतों को मजबूत करने वाले अंग्रेज अफसर के नाम पर देश की राजधानी नई दिल्ली में एक सड़क है नाम है हेली रोड। जो चाह अनचाहे और जाने अनजाने उपनिवेशवाद की याद दिलाती है।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 09:04 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 09:04 AM (IST)
Hailey Road News: उपनिवेशवाद को मजबूत करने वाले के नाम पर देश की राजधानी में सड़क क्यों?
उपनिवेशवाद को मजबूत करने वाले के नाम पर देश की राजधानी में सड़क क्यों?

नई दिल्ली [अनंत विजय]। सरकारी नीतियों और फैसलों को लागू करने में नौकरशाही की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर अधिकारी योग्य और कार्यक्रमों को लागू करने की कला में माहिर होता है तो उसको लंबे समय तक याद रखा जाता है। ऐसे ही एक अंग्रेज अधिकारी थे विलियम मैल्कम हेली। 1895 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (आइसीएस) की परीक्षा पास की और अधिकारी बने। भारत में उनकी पहली पोस्टिंग उपनिवेशन (कोलोनाइजेशन) अधिकारी के तौर पर हुई। उस दौर में उपनिवेशन अधिकारी के अन्य कार्यो में एक कार्य औपनिवेशिक शासन को मजबूत करना था।

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मैल्कम हेली ने झेलम में अपनी पदस्थापना के समय ये काम बखूबी किया और बरतानिया सरकार ने उनके कामकाज से खुश होकर 1912 में उनको दिल्ली का कमिश्नर नियुक्त कर दिया। वो इस पद पर छह साल तक रहे। औपनिवेशिक शक्तियों को मैल्कम हेली लगातार अपने काम से खुश कर रहे थे और करियर के शिखर की ओर बढ़ रहे थे। ये अंग्रेजों की रणनीति का हिस्सा था कि एक तरफ सैन्य सख्ती और दूसरी तरफ प्रशासनिक नरमी से गुलामी की व्यवस्था को बनाए रखा जा सके। मैल्कम हेली बाद में पंजाब और तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर भी बने। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की वेबसाइट पर इस बात की जानकारी है।

उपनिवेशवादी ताकतों को मजबूत करने वाले इसी अंग्रेज अफसर के नाम पर नई दिल्ली में एक सड़क है नाम है हेली रोड। नई दिल्ली में पहले कई अंग्रेज अफसरों, सैन्य अधिकारियों और ब्रिटिश राज से जुड़े कई लोगों के नाम पर सड़कें आदि थीं। उन सड़कों का नाम धीरे-धीरे बदला गया। लेकिन अब भी कई सड़कें विदेशी आक्रांताओं और देश को लंबे समय तक गुलामी की जंजीर में रखने वालों और उनके मददगारों के नाम पर मौजूद हैं।

आज जब पूरा देश स्वाधीनता का अमृत महोत्सव वर्ष मना रहा है तो उपनिवेश के इन चिन्हों को मिटाने का अनुकूल समय है। बेहतर होगा कि देश को गुलाम बनाए रखने में भूमिका निभाने वाले अफसरों और आक्रांताओं के नाम हटाकर हम भारत के उन सपूतों के नाम पर इन सड़कों और इमारतों का नाम रखें जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया। जिन्होंने स्वाधीनता के स्वप्न को साकार करने में अपने प्राणों की आहुति दी।


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