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Lal Dora Property In Delhi: लाल डोरा इलाके में सस्ते प्लैट/घर खरीदने का क्या है नियम? आप कैसे उठा सकते हैं लाभ

Lal Dora Property In Delhi दिल्ली के कई इलाकों लाल डोरा की जमीनें हैं जहां पर आप सस्ते दामों पर आशियाना बना सकते हैं। हालांकि आपको यहां पर जमीन और फ्लैट खरीदने से पूर्व कई तरह की की सावधानी बरतनी होगी।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 12:28 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 02:08 PM (IST)
Lal Dora Property In Delhi: लाल डोरा इलाके में सस्ते प्लैट/घर खरीदने का क्या है नियम? आप कैसे उठा सकते हैं लाभ
Lal Dora Property In Delhi:लाल डोरा इलाके में प्लैट खरीदने का क्या है नियम? आप कैसे उठा सकते हैं लाभ

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पश्चिमी दिल्ली के मुंडका इलाके में इलेक्ट्रानिक का सामान बनाने वाली कंपनी में लगी आग ने 27 लोगों को लील लिया और कई लोग अब भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, मुंडका में बनी यह इमारत लाल डोरा के तहत आती है। पता चला है कि मुंडका में आग के हादसे की शिकार हुई इमारत लाल डोरे की जमीन पर अवैध रूप से बनी थी।

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हैरत की बात तो यह कि इस जमीन का न तो नक्शा पास न था और इसके मालिकों की ओर से दिल्ली दमकल विभाग से एनओसी ही ली गई थी। आइये जानते हैं कि क्या होती हैं लाल डोरा की जमीनें और कैसे आप यहां नियमानुसार जमीन खरीदकर फैक्ट्री/कंपनी या आशियाने का निर्माण कर सकते हैं। 

देश की राजधानी दिल्ली में आशियाना बनाने का सपना हर किसी का होता है, लेकिन भारी भरकम बजट के चलते ये सपने किसी किसी के पूरे होते हैं। दिल्ली में फ्लैट खरीदने का सबसे उम्दा जरिया दिल्ली विकास प्राधिकरण है, जो समय-समय पर फ्लैट की स्कीम लान्च करता रहता है। जो काफी महंगे होते हैं। ऐसे में मध्य वर्गीय लोग लाल डोरा की जमीनों की ओर रुख करते हैं। 

कम कीमत करती है लोगों को आकर्षित

प्रापर्टी के जानकारों की मानें तो देश की राजधानी दिल्ली के अधिकृत इलाकों की तुलना में प्रापर्टी रेट कम होते हैं। जाहिर है इन इलाकों में कम कीमत होने के चलते सेंट्रल पार्क, चौड़ी सड़कें समेत कई जरूरी सुविधाएं नहीं होतीं हैं। यहां पर प्रापर्टी मालिक नकद और बेहिसाब पैसे लेकर बिल्डर फ्लोर बनाकर फ्लैट बेचते थे। 

मेट्रो स्टेशनों के नजदीक हैं कई लाल डोरा की जमीनें

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) ने शहर के सभी इलाकों में मेट्रो का जाल बिछा दिया है। कई लाल डोरा की जमीनें तो मेट्रो स्टेशनों के बेहद करीब हैं। ऐसे में यहां से लोगों का आवागमन भी बेहद आसान हो गया है।  ऐसे में लोग लोल डोरा में बने प्लाट और फ्लैट खरीदने को प्राथमिकता देने लगे हैं। 

30 लाख से भी कम में मिल जाते हैं 2 बीएचके फ्लैट

दिल्ली में प्रापर्टी के कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो लाल डोरा की जमीनों पर बने दो-बेडरूम का अपार्टमेंट 30 लाख रुपये से कम में मिल जाता है, जबकि दिल्ली विकास प्राधिकरण के फ्लैट 50 लाख रुपये के आसपास पड़ते हैं। वहीं, दूसरी दिल्ली की अवैध कालोनियों के पुनर्विकसित प्रोजेक्ट का हिस्सा होने के चलते ये फ्लैट सस्ते पड़ते हैं। 

क्या होती है लाल डोरा की जमीन

दिल्ली में जमीनी घनत्व वाले बहुत बड़ी संख्या में गांव हैं, जिन्हें लाल डोरा आबादी की श्रेणी में डाला गया है।  ध्यान देने की बात तो यह है कि इन इलाकों में बेची गई संपत्तियों की रजिस्ट्री नहीं होती हैं, ऐसे में होम लोन भी नहीं होता है। इसके लिए दिल्ली सरकार एक लाल डोरा सर्टिफिकेट जारी करती है। इसमें लिखा होता है कि मालिकाना हक आबादी के पास है। इस सर्टिफिकेट के आधार पर गांव में मकानमालिक पानी और बिजली कनेक्शन के लिए अप्लाई करते हैं। 

बता दें कि लाल डोरा इलाके में ज्यादातर संपत्तियां बिल्डर फ्लोर की सूरत में होती हैं। विकसित गांवों में ये फ्लैट छोटे आकार के पुनर्विकसित मिलेंगे। 

ये हैं लाल डोरा के इलाके

  • महावीर एन्कलेव पार्ट 1
  • द्वारका के पास गणेश नगर 
  • वेस्ट दिल्ली पौससंगपुर
  • वीरेन्द्र नगर
  • उत्तम नगर के हिस्से
  • महावीर एनक्लेव
  • असलतपुर 
  • साउथ दिल्ली लाडो सराय
  • किशन गढ़
  • बसंत गांव
  • खिड़की एक्सटेंशन
  • मुनिरका
  • यूसुफ सराय
  • कटवारिया सराय
  • छतरपुर
  • संत नगर,
  • महरौली विस्तार
  •   शकरपुर में दयानंद ब्लाक
  • कोटला गांव
  • खेड़ा गांव,
  • कोंडली
  • त्रिलोकपुरी
  • नेताजी सुभाष विहार
  • कड़कड़डूमा गांव
  • नवादा
  • नरेला गांव
  • गोपाल पुर
  • रोहिणी 

100 साल पहले दिल्ली में हुई थी बंदोबस्ती

दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 1908-09 में जमीन की बंदोबस्ती की गई थी। इसके अनुसार गांवों की सीमा निर्धारित की गई थी, जिसे लाल डोरा का नाम दिया गया। इसके बाद से दिल्ली में कई बार लाल डोरा के विस्तार की मांग उठी है। सरकार ने कई बार लाल डोरा विस्तार का वादा किया और कागजों पर योजनाएं भी बनाई गईं। बावजूद आज तक कोई योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी।


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