जल प्रदूषित करने वाले उद्यमी को HC से झटका, निचली अदालत ने सुनाई थी डेढ़ साल की सजा
जल प्रदूषण फैलाने के मामले में कपड़ा छपाई उद्योग के मालिक को डेढ़ साल की सजा सुनाने के निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। जल प्रदूषण फैलाने के मामले में कपड़ा छपाई उद्योग के मालिक को डेढ़ साल की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सुनील गौर की पीठ ने अपीलकर्ता की उस दलील को दरकिनार कर दिया कि पानी का नमूना उसकी यूनिट से नहीं लिया गया था और न ही यह पानी निकालने की यूनिट है। पीठ ने कहा कि निचली अदालत द्वारा व्यक्ति को दोषी ठहरा कर सजा देने के फैसले में कोई गलती नहीं है। ऐसे में अपील याचिका खारिज की जाती है।
अपने फैसले में पीठ ने यह भी कहा कि जांच के लिए पानी का नमूना न लेना दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) का मुकदमा नहीं है। डीपीसीसी के 21 फरवरी 2000 की निरीक्षण रिपोर्ट के तहत अपीलकर्ता द्वारा उसके यूनिट में पानी के प्रवाह को शोधित करने के लिए प्रभावी संयंत्र नहीं लगाया गया था। पीठ ने कहा कि कपड़ा छपाई उद्योग से संबंध होने के बावजूद दोषी ने जल कानून के तहत अनिवार्य नियमों का पालन नहीं किया।
याचिका के अनुसार, अपीलकर्ता दक्षिण दिल्ली में एक कपड़ा छपाई उद्योग चला रहा था। निरीक्षण के दौरान डीपीसीसी और सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट की टीम ने पाया था कि छपाई के लिए इस्तेमाल होने वाली स्क्रीन को वहां पर धोया जाता था। उन्होंने पाया था कि इससे निकलने वाले गंदे पानी को बगैर शोधित किए ही यूनिट से बाहर निकाला जाता था।
दोषी ने ऐसा करने से पहले किसी भी विभाग से अनुमति नहीं ली है। पीठ ने रिकॉर्ड पर लिया कि निचली अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि यूनिट में जल शोधन संयंत्र नहीं होने के कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उद्यमी गंदे पानी को शोधित किए बगैर यूनिट से बाहर निकाल रहा है, जो सीवर, जमीन में जाकर जल प्रदूषण कर रहा है।