व्यवसायिक प्रशिक्षण से महिला कैदी होंगी आर्थिक रूप से स्वतंत्र : कंवलजीत अरोड़ा
डीएसएलएसए के सदस्य सचिव कंवलजीत अरोड़ा ने कहा की महिलाएं मोती के समान होती हैं हमें उन्हें माला के मोती की तरह सम्मान देना चाहिए। महिलाओं को अर्थिक स्वतंत्रता की बहुत जरूरत है उसी दिशा में यह प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जा रहा है।
नई दिल्ली [रितु राणा]। मंडोली जेल में बुधवार को जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) शाहदरा और उत्तर पूर्वी जिले ने मिलकर दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएसएलएसए) व जेल प्रशासन के नेतृत्व में 'आओ सीखें' मुहिम का शुभारंभ किया। इसके माध्यम से महिला कैदियों को सजावटी मास्क, आर्टिफिशियल ज्वेलरी और खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उत्पादों की बिक्री के लिए लगेगी प्रदर्शनी
भविष्य में महिला कैदियों द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री के लिए प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इस अवसर पर महिला कैदियों ने देश भक्ति गीतों पर मनमोहक प्रस्तुति देकर सभी का दिल जीत लिया। इसके साथ ही 'बेखौफ आजाद है, जीना मुझे' गीत के माध्यम से एक नृत्य प्रस्तुति देकर, एक महिला के कठिनाईयों के भरे जीवन को दर्शाया गया।
महिलाएं मोती के समान होती हैं इन्हें सम्मान देना चाहिए
इस मौके पर डीएसएलएसए के सदस्य सचिव कंवलजीत अरोड़ा ने कहा की महिलाएं मोती के समान होती हैं हमें उन्हें माला के मोती की तरह सम्मान देना चाहिए। महिलाओं को अर्थिक स्वतंत्रता की बहुत जरूरत है, उसी दिशा में यह प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण का कारण महिलाएं जेल से निकलकर बनें आत्मनिर्भर
वहीं, जेल के महानिदेशक संदीप गोयल कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य यही है कि जेल से रिहा होकर यह महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर एक स्वाभिमानी जीवन जी सकें।
जेल प्रशासन ने की उत्पादों को खरीदने की अपील
इस दौरान डीएसएलएसए व जेल प्रशासन द्वारा उद्योगपतियों से इन उत्पादों को खरीदने की अपील भी की गई। इस मौके पर डीएसएलएसए के विशेष सचिव गौतम मनन,जेल नंबर 16 की सुपरिटेंडेंट नीता नेगी, डीएलएसए सचिव व न्यायाधीश अनुभव जैन, आशीष गुप्ता, हरजीत सिंह जसपाल, सुमित आनंद, साइमा जमील, सुनील गुप्ता,जेल अधीक्षक सुशील त्यागी, देवेंद्र उपाध्याय आदि शामिल रहे।