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गुरुग्राम हादसा : मौत और जिंदगी के बीच रहा पांच मिनट का फासला नहीं तो खत्‍म हो जाता परिवार

धर्मेंद्र ने मौत को करीब से देखा था। वह सुबह उठ कर घर से बाहर पहुंचा ही था कि धड़ाम की आवाज सुनी देखा तो घर की दीवार से सटे चाचा दयाराम का नए बने मकान की छत गिर रही थी।

By Edited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 04:00 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 06:00 PM (IST)
गुरुग्राम हादसा : मौत और जिंदगी के बीच रहा पांच मिनट का फासला नहीं तो खत्‍म हो जाता परिवार
गुरुग्राम हादसा : मौत और जिंदगी के बीच रहा पांच मिनट का फासला नहीं तो खत्‍म हो जाता परिवार

सोहना (गुरुग्राम)[सतीश राघव]। गांव उल्लावास के धर्मेंद्र ने मौत को करीब से देखा था। वह बृहस्पतिवार सुबह 5 बजे उठ गया था। घर से बाहर मेन गेट पर पहुंचा ही था कि धड़ाम की आवाज सुनी। देखा तो घर की दीवार से सटे चाचा दयाराम के नए बने मकान की छत गिर रही थी।

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मां को गोद में लेकर निकले धर्मेंद्र 
इस नजारे को देख वह वापस घर में भागा और सो रही मां को सबसे पहले जगाया। इसके बाद मां को अपनी गोदी में उठाकर घर से बाहर निकाल ले आया, फिर अपने सात वर्षीय बेटे को बाहर निकाला। धर्मेद्र ने पत्नी को छत से नीचे धक्का देकर निकाला ही था कि चाचा के घर की तीन मंजिल इमारत भर-भराकर उनके घर पर आ गिरी।

10 मिनट तक नहीं निकली आवाज
मौत और जिंदगी को अपनी आंखों से इतना करीब देखा कि वह सहम गया। धर्मेंद्र की मां तो इस हादसे को देख इतना घबरा गईं कि 10 मिनट तक उनके मुंह से आवाज तक नहीं निकली। इतना भयावह मंजर और मौत सामने थी।

खत्‍म हो जाता पूरा कुनका
बस पांच मिनट और देर हो जाती तो उनका तो पूरा कुनबा ही मौत की आगोश में होता। बृहस्पतिवार की सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर गांव उल्लावास में निर्माणाधीन चार मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें किराए पर रह रहे सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।

20 घंटे तक चला सर्च अभियान
20 घंटे चले इस सर्च अभियान में 250 कर्मचारियों ने मशक्कत के बाद मलबे में दब गए लोगों को निकाला। दयाराम के मकान से धर्मेंद्र का मकान बिल्कुल सटा हुआ था।

बुधवार को ही दयाराम ने एक लेंटर डलवाया था जो दिन के समय से ही गिरने की हालत में नजर आ रहा था। बृहस्पतिवार सुबह तीनों मंजिल की छत धर्मेंद्र के मकान पर गिर गई, जिससे उनका मकान भी ढह गया। अब उनके परिवार को पड़ोसी के घर में शरण लेनी पड़ी है।


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