रिपोर्ट: 20 करोड़ नहीं केजरीवाल के बंगले पर खर्च हुए 52.71 करोड़ रुपए, सत्येंद्र जैन गड़बड़ियों के सूत्रधार
सतर्कता विभाग के विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर द्वारा तैयार और मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा एलजी वीके सक्सेना को सौंपी गई मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के कायांतरण की 28 पृष्ठों की रिपोर्ट इस संदर्भ में अनेकों खामियां उजागर करती है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के कायांतरण से जुड़ी तमाम गड़बड़ियों के सूत्रधार भी सत्येंद्र जैन ही रहे हैं। तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री के रूप में उन्होंने ही 2020 में इस दिशा में सारी प्रक्रिया शुरू कराई और उन्हीं के मार्ग दर्शन में नियमों को दरकिनार कर प्रक्रिया आगे बढ़ती गई।
सतर्कता विभाग के विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर द्वारा तैयार और मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा एलजी वीके सक्सेना को सौंपी गई 28 पृष्ठों की रिपोर्ट इस संदर्भ में अनेकों खामियां उजागर करती है। खास बात यह कि दिल्ली सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 11 मई को आया और 12 मई को राजशेखर ने रिपोर्ट आगे प्रेषित कर दी।
2020 में सत्येंद्र जैन ने किया था ये अनुरोध
इस रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 में जैन ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से छह फ्लैग स्टाफ रोड के भूतल पर मौजूदा सीएम आवास में एक ड्राइंग रूम, दो बैठक कक्ष व 24 व्यक्तियों की क्षमता वाला एक औपचारिक भोजन कक्ष बनाने का अनुरोध किया था। वजह यह कि सीएम आवास "विभिन्न बैठकों को पूरा करने के लिए पर्याप्त" नहीं था।
विभागीय इंजीनियरों ने तर्क दिया कि सन 1942-43 में बने इस मौजूदा ढांचे की उम्र 1997 में ही खत्म हो गई थी। इसलिए यहां अतिरिक्त निर्माण करना जोखिम भरा हो सकता है। इंजीनियरों की सिफारिश पर ही मौजूदा ढांचे के साथ एक नया सीएम आवास तैयार करने का प्रस्ताव मान लिया गया। आनन-फानन में एक कंसल्टेंट नियुक्त किया गया और उसी की रिपोर्ट पर काम शुरू कर दिया गया।
भवन परिवर्तन के नाम पर जारी हुआ था पहला टेंडर
पीडब्ल्यूडी ने शुरू में अनुमान लगाया था कि निर्माण पर 15 से 20 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 20 अक्टूबर 2020 को 8.61 करोड़ रुपये का पहला टेंडर को निकाला गया, जिसमें नए भवन के निर्माण का नहीं बल्कि परिवर्धन और परिवर्तन का उल्लेख था। इसी के नाम पर बाद में भी कई टेंडर किए गए। रिपोर्ट बताती है कि पीडब्ल्यूडी की बिल्डिंग कमेटी द्वारा नए बंगले के लिए कोई बिल्डिंग प्लान मंजूर नहीं किया गया था।
बिल्डिंग कमेटी ने दिसंबर 2021 में "आनलाइन अनुपालन" के लिए कुछ आब्जर्वेशन दिए थे, लेकिन जो पीडब्ल्यूडी द्वारा उपलब्ध कराए गए रिकॉर्ड के अनुसार अब तक नहीं किए गए थे। सतर्कता निदेशालय ने कहा है, "इमारत बिना किसी स्वीकृत योजना के बनाई गई थी।
घर के निर्माण के "जोड़ने और बदलने" के लिए कुल 37.7 करोड़ रुपये जबकि कैंप आफिस पर 19.22 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिससे नवीनीकरण की कुल लागत 52.71 करोड़ रुपये बैठी। रिपोर्ट में सलाहकार के रूप में नियुक्त होने के लिए आर्किटेक्ट फर्मों से स्पाट कोटेशन आमंत्रित करने पर भी सवाल उठाया गया है।
आम आदमी पार्टी का पक्ष
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले नौ वर्षों में मुख्यमंत्री की छवि खराब करने के अपने सभी प्रयासों में विफल रहने के बाद, भाजपा अब मुख्यमंत्री आवास को निशाना बना रही है। रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि कोई अपराध किया गया था।
यह पहली बार है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास, कार्यालय सचिवालय, सभागार, स्टाफ क्वार्टर आदि को मिलाकर एक आधिकारिक मुख्यमंत्री निवास परिसर बनाया गया है। भाजपा को अपनी ऊर्जा अडानी घोटाले की जांच पर केंद्रित करनी चाहिए। सीएम बेहद लोकप्रिय हैं और उनकी लोकप्रियता पूरे देश में तेजी से फैल रही है।
मोदीजी दिल्ली के मुख्यमंत्री की बढ़ती लोकप्रियता से डरे हुए हैं। इसलिए मोदीजी ने केजरीवाल जी के खिलाफ सभी एजेंसियों को खोल दिया है। मोदीजी को अब तक एक पैसे की भी अनियमितता नहीं मिली है।