देश के पहले रीजनल रैपिड रेल कारिडोर को लेकर सामने आई अच्छी खबर, लोगों को कम होगी परेशानी
Delhi Meerut Rapid Rail दिल्ली- मेरठ कारिडोर के निर्माण में बड़े स्तर पर प्रीकास्ट निर्माण तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक की मदद से कहीं भी ट्रैफिक प्रभावित नहीं हो रहा जिससे लोगों को राहत मिल रही है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के दिल्ली- मेरठ कारिडोर के निर्माण में बड़े स्तर पर प्रीकास्ट निर्माण तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक की मदद से कहीं भी ट्रैफिक प्रभावित नहीं हो रहा। कारिडोर के सभी एलिवेटेड स्टेशन, जिसमें सराय काले खां, न्यू अशोक नगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, मुरादनगर, मोदीनगर उत्तर, मोदीनगर दक्षिण और मेरठ शामिल है, में कानकोर्स और प्लेटफार्म लेवल का निर्माण कार्य प्री-कास्ट तकनीक से किया जा रहा है।
एलिवेटेड वायाडक्ट, लान्चिंग गैन्ट्री (तारिणी) का उपयोग करके पहले से ही बनाया जा रहा है जो एक आरआरटीएस वायडक्ट के निर्माण के लिए गार्डर के विभिन्न भारी खंडों को उठाता है और उसे आपस में जोड़ता है। इस प्रोजेक्ट में 80 प्रतिशत से भी अधिक सिविल संरचनाओं को प्रीकास्ट किया जा रहा है जो कास्टिंग यार्ड में आटो लान्चिंग गैन्ट्री की मदद से लगातार चल रही है। इन प्रीकास्ट संरचनाओं का उपयोग करने से पहले गहन गुणवत्ता जांच भी सुनिश्चित की जाती है। इन सरंचनाओं को 82 किलोमीटर के कारिडॉर में प्रयोग करने के लिए वर्तमान में 10 अत्याधुनिक कास्टिंग यार्ड, दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के विभिन्न स्थानों पर उच्च तकनीक सुविधाओं के साथ बड़े पैमाने पर 24 घंटे काम किया जा रहा है।
कोविड काल में हुआ फायदा
कोरोना महामारी के दौरान यह तकनीक काफी मददगार साबित हुई। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कारिडोर, जो एनसीआर में परिकल्पित आठ गलियारों में से पहला है, गाजियाबाद, मुरादनगर और मोदीनगर के घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होकर गुजरता है। यहां कारिडोर का बड़ा हिस्सा दिल्ली-मेरठ रोड के मध्य में है। यह कारिडोर दिल्ली और मेरठ के क्षेत्रों की घनी आबादी और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से भी गुजरता है।