स्वच्छता के बगैर शहरी विकास संभव नहीं- हरदीप सिंह पुरी
हरदीप सिंह पुरी ने शहरीकरण के तेज प्रसार का जिक्र करते हुए कहा ‘वर्ष 2030 तक देश की 40 फीसद से अधिक आबादी शहरों में बस जाएगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। शहरी स्वच्छता को ध्यान में रखे बिना शहरी विकास की अवधारणा अकल्पनीय है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शहरीकरण के तेज प्रसार का जिक्र करते हुए कहा, ‘वर्ष 2030 तक देश की 40 फीसद से अधिक आबादी शहरों में बस जाएगी। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 70 फीसद हिस्सा शहरों से प्राप्त होगा।
ऐसे में शहरीकरण की वृद्धि दर को कम करके नहीं आंकना चाहिए।’ पुरी गुरुवार को यहां आयोजित एक समारोह में ‘भविष्य की शहरी स्वच्छता’ विषय पर बोल रहे थे। पुरी ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘भारत में शहरीकरण की दर और वृद्धि को कम आंकने की सामान्य प्रवृत्ति रही है। जबकि वर्ष 2030 तक भारत में शहरी आबादी 60 करोड़ हो जाएगी जो देश की 40 फीसद होगी।
शहरी क्षेत्र की जीडीपी में कुल हिस्सेदारी 70 फीसद, कर राजस्व का 85 और 70 फीसद नौकरियां शहरी क्षेत्रों से सृजित होंगी। देश की अर्थव्यवस्था का मौजूदा आकार फिलहाल 2.8 टिलियन डॉलर का है जो 2024 तक बढ़कर पांच टिलियन हो जाएगा। इसकी तैयारियों में जुट जाना चाहिए। इसके मद्देनजर शहरी स्वच्छता की महत्ता बहुत बढ़ जाएगी। इसके बगैर शहरी विकास संभव नहीं होगा।
शहरी विकास की दिशा में की गई पहल के बारे में पुरी ने बताया कि वर्ष 2004 से 2014 तक जहां शहरी बुनियादी ढांचा क्षेत्र में पौने दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, वहीं वर्ष 2015 से 2020 तक 9.70 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। शहरी विकास मंत्री ने राजग सरकार की नीतियों की सफलता का श्रेय जनभागीदारी को दिया।
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीतियां स्थानीय जरूरतों के हिसाब से बनाई जानी चाहिए। सफाई कर्मचारियों के कल्याण के बारे में उन्होंने कहा कि हाथ से कूड़ा उठाने की प्रथा पर केवल प्रतिबंध लगाने से इसे समाप्त करना संभव नहीं है। इसके लिए सफाई कर्मियों को सुरक्षा गियर प्रदान करने, अनुबंधों में बदलाव लाना, मजबूत कानूनों को बनाए रखना और उनके सामाजिक उत्थान में सहायता करना भी महत्वपूर्ण है।
परमेश्वरन ने कहा स्वच्छता में निवेश का मिलता है चार गुना लाभ
केंद्रीय जल शक्ति सचिव परमेश्वरन अय्यर ने समारोह में कहा कि स्वच्छ भारत मिशन से शहरी-ग्रामीण विभाजन को सीखने के लिए कई सबक हैं। इस कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में व्यक्तिगत रूप से शामिल किया था। पिछले पांच वषों में लोगों की भागीदारी को वास्तव में एक जन-आंदोलन के रूप में सामने लाया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण से सीखने के लिए चार प्रमुख सबक रहे। सार्वजनिक स्वच्छता में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है, इस निवेश में 400 फीसद का रिटर्न है। मिशन के नए चरण में ओडीएफ इंडिया, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, 2022 तक एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त किया जाना है।