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दरवेश हत्याकांड : हत्यारोपित मनीष की गुरुग्राम के अस्पताल में मौत, कभी नहीं खुलेगा ये 'रहस्य'

मनीष शर्मा ने 12 जून को लाइसेंसी रिवाल्वर से दरवेश यादव को गोली मारने के बाद अपनी कनपटी में गोली मार आत्महत्या का प्रयास किया था। इसमें दरवेश की मौत हो गई थी।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 02:19 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 07:26 AM (IST)
दरवेश हत्याकांड : हत्यारोपित मनीष की गुरुग्राम के अस्पताल में मौत, कभी नहीं खुलेगा ये 'रहस्य'
दरवेश हत्याकांड : हत्यारोपित मनीष की गुरुग्राम के अस्पताल में मौत, कभी नहीं खुलेगा ये 'रहस्य'

गुरुग्राम/आगरा, जेएनएन। उत्तर प्रदेश बार कौंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव की आगरा दीवानी कचहरी परिसर में गोली मारकर की गई हत्या मामले में आरोपित अधिवक्ता मनीष शर्मा की शनिवार को गुरुग्राम के मेदांता मेडी सिटी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मनीष को 13 जून काे मेदांता में लाया गया था, जहां उसके सिर में गोली लगी थी और फिर इसके बाद कभी होश नहीं आया।

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बता दें कि मनीष ने लाइसेंसी रिवाल्वर से दरवेश को गोली मारने के बाद अपनी कनपटी में गोली मार आत्महत्या का प्रयास किया था। अधिवक्ता को आगरा पुलिस टीम बेहाेशी की हालत में मेदांता लेकर आई थी। उसे वेंटिलेटर के सहारे रखा गया था, लेकेिन इलाज शुरू होने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ था। शनिवार को दोपहर में डेढ़ बजे के करीब उसकी मौत हुई है।

यूपी पुलिस की जांच का बड़ा और अहम आधार भी यहा था कि मनीष शर्मा के ठीक होने पर उससे यह पता चल सके कि उसने दरवेश को क्यों मौत के घाट उतारा? वहीं, उससे पूछताछ की जा सके, उससे पहले ही उसकी मौत हो गई। बताया जाता है कि दरवेश के यूपी बार काउंसिल अध्यक्ष चुने जाने पर ज्यादा खुश मनीष ही था। ऐसे में अचानक मनीष की नाखुशी का राज भी अब उसकी मौत के साथ दफन हो गया।

साथ ही उसकी मौत के साथ इस हत्याकांड से जुड़े कई अहम राज भी दफन हो गए हैं। मनीष शर्मा  साथी अधिवक्ता दरवेश यादव का बेहद अच्छा दोस्त भी था। अब इस सवाल का जवाब कभी नहीं मिलेगा कि ऐसी क्या वजह थी कि उसने सरेआम दरवेश यादव की हत्या कर दी। 

गौरतलब है कि दरवेश की हत्या के बाद यूपी पुलिस ने कई प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की, लेकिन कोई सबूत नहीं मिल चल सका और न ही गवाह। पूछताछ में कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने यह जरूर कहा था कि मनीष को गुस्सा सतीश को देखकर आया था। सतीश पुलिस इंस्पेक्टर हैं और मैनपुरी में तैनात हैं।

यहां पर बता दें कि इसी महीने की 12 जून को दरवेश यादव अध्यक्ष बनने पर स्वागत समारोह के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्रा के चैंबर में बैठी थीं। वहीं, यहां पर आकर पूर्व सहयोगी अधिवक्ता मनीष शर्मा ने अपनी लाइसेंसी पिस्‍टल से यूपी बार कौंसिल की अध्यक्ष को 5 गोलियां मारीं, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। इसके बाद आरोपित मनीष शर्मा ने खुद को भी गोली मार ली थी। 

यहां पर बता दें कि प्रयागराज में आगरा की दरवेश यादव और वाराणसी के हरिशंकर सिंह यूपी बार कौंसिल के अध्यक्ष संयुक्त रूप से चुने गए थे। अध्यक्ष पद पर हरिशंकर सिंह व दरवेश यादव को 12-12 बराबर वोट मिले। बराबर मत के आधार पर दोनों को छह-छह माह के लिए चयनित किया गया। परंपरा व सहमति के आधार पर दरवेश यादव पहले छह माह और हरिशंकर सिंह को शेष छह माह अध्यक्ष रहना था।

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