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गाजियाबाद में धराशायी हुई इमारत का सच, मजिस्ट्रेटी जांच पूरी, सामने आई बड़ी लापरवाही

गाजियाबाद के मिसलगढ़ी में निर्माणाधीन इमारत गिर गई। घटनास्थल पर काम कर रहे मजदूरों का कहना है कि बिल्डिंग के एक हिस्से में दरार आ गई थी, जिसके बारे में बिल्डर को जानकारी थी।

By Amit MishraEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 03:33 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 06:07 PM (IST)
गाजियाबाद में धराशायी हुई इमारत का सच, मजिस्ट्रेटी जांच पूरी, सामने आई बड़ी लापरवाही

गाजियाबाद (जेएनएन)। ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में दो इमारत गिरने की घटना को हफ्ता भर भी नहीं बीता था कि गाजियाबाद के मसूरी में रविवार दोपहर बाद एक अवैध निर्माणाधीन इमारत ढह गई, जिसके मलबे में दबकर दो मजदूरों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि जिस इलाके में यह बिल्डिंग गिरी है, वह पूरी तरह से अवैध रूप से बसाई गई है। 

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बेसमेंट मिलाकर पांच तल वाली बिल्डिंग में 17 मजदूर काम कर रहे थे। दोपहर पौने तीन बजे इमारत भरभराकर गिर गई और उसमें काम कर रहे सभी मजदूर मलबे में दब गए। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत दो मजदूरों को बाहर निकाला और उन्हें अस्पताल पहुंचाया। सूचना पर पहुंची एनडीआरएफ की टीम और पुलिस ने देर शाम तक मलबे से छह मजदूरों को निकाला। 

सामने आई बिल्डर की लापरवाही 

गाजियाबाद इमारत हादसे में बिल्डर की बड़ी लापरवाही भी सामने आई हैै। घटनास्थल पर काम कर रहे मजदूरों का कहना है कि बिल्डिंग के एक हिस्से में दरार आ गई थी, जिसके बारे में बिल्डर को जानकारी थी। बिल्डर ने मजदूरों को इस दरार को भरने को कहा और इमारत में जबरदस्ती काम जारी रखा। 

दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश

गाजियाबाद बिल्डिंग हादसे पर बोलते हुए स्थानीय सांसद वी.के सिंह ने कहा कि 'जांच के आदेश दे दिए गए हैं, प्रशासन को दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। जिला प्रशासन से सभी अवैध इमारतों को खाली करवाकर नष्ट करने के आदेश दिए गए हैं।'

सहायता की घोषणा

राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद के डीएम और एसएसपी से मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं, साथ ही आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ के मंडलायुक्त को जांच के आदेश दिए हैं। वहीं मृतकों के परिजनों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता की घोषणा की है।

मजिस्ट्रेटी जांच पूरी

गाजियाबाद में इमारत जमींदोज होने के मामले में मजिस्ट्रेटी जांच हुई पूरी हो गई है। एडीएम फाइनेंस सुनील कुमार सिंह ने रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। इमारत बनाने में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया था और बीम को ठीक से नहीं जोड़ा गया था। मामले में जीडीए के प्रवर्तन जोन तीन के दो अधिकारियों समेत 15 की लापरवाही भी सामने आई है। डीएम रितु माहेश्वरी ने कहा है कि गाजियाबाद बिल्डिंग हादसे में 3 लोगों को खिलाफ FIR दर्ज की गई है। जांच जारी है, जैसे ही और नाम सामने आएंगे उन्हें एफआईआर में जोड़ा जाएगा। 4 सुपरवाइजरों को सस्पेंड किया गया, 7 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। 

जिम्मेदार लोगों के खिलाफ होगी कार्रवाई

आईजी लॉ एंड ऑर्डर ने कहा कि जैसे ही इमारत गिरने की जानकारी मिली, वैसे ही पुलिस मौके पर पहुंची। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। 7 लोगों को बचाया है, 6 लोग अस्पताल में हैं जिनका इलाज चल रहा है। जैसे ही बचाव कार्य पूरा होगा, हम मामले की जांच करेंगे और जो भी जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। 

राहत और बचाव कार्य में डॉग स्क्वायड की ली गई मदद 

हादसे की सूचना मिलने के बाद मौके पर पुलिस और NDRF की टीम पहुंची। राहत और बचाव के कार्य में डॉग स्क्वायड की भी मदद ली गई। स्थानीय लोगों के मुताबिक इमारत के गिरते उमसें कई मजदूर मौजूद थे।इमारत गिरते वक्त बिल्डिंग में काम कर रही मजदूर गीता (30) निचले तल पर थीं। वह खुद को बचाने के लिए दौड़ीं और उनके ऊपर कुछ ईंट व मलबा गिर गया। मौके पर आए लोगों ने उन्हें ईंट हटाकर निकाल लिया। वह मूलरूप से मध्य प्रदेश के दमोह जिले में बटियागढ़ थाना इलाके के हिम्मतपुर गांव की रहने वाली हैं। इमारत गिरते वक्त इसी इमारत में गीता (27) के पति राजकुमार (30), मां विद्या (50), बेटे आठ वर्षीय शिवा व छह वर्षीय सागर, भाई राहुल व राजेश, चाचा मुन्ना (52), चाची गुलाबरानी (47), मुन्ना का पोता आठ वर्षीय देवेंद्र के अलावा मिस्त्री शकील व क्रेन चालक बिहार के अरनिया निवासी रईस (27) काम कर रहे थे।

अवैध इमारत 

गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में मंगलवार की रात करीब 9 बजे दो इमारतें भरभराकर गिर गईं थीं।शनिवार सुबह नोएडा के सेक्टर-63 से बेसमेंट की दीवार गिर गई थी जिसमें एक बच्चेे की मौत हो गई थी।शाहबेरी में छह मंजिला इमारत का जमींदोज होना सिर्फ एक हादसा भर नहीं था। बल्कि इस हादसे ने धराशायी हो चुके सरकारी सिस्टम को भी उजागर हुआ है। जो इमारत धराशायी हुई थी, वह अवैध थी।

तय मानकों पर नहीं किया काम 

दिल्ली-एनसीआर में बनी सैकड़ों इमारतों की भी कमोबेश यही स्थिति है। बिल्डर परियोनाओं में खरीदारों को कब्जे के साथ ही फ्लैट के प्लास्टर व दीवार गिरने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन घटनाओं से बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले दशहत में आ चुके हैं। बिल्डरों ने अधिक से अधिक फायदा कमाने के लिए मानकों को दरकिनार कर घटिया निर्माण सामग्री लगाई है। 

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सुरक्षित नहीं है साइबर सिटी

ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के बाद साइबर सिटी भी सुरक्षित नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि शहर में नगर निगम से बिना नक्शा पास करवाए और हरियाणा बिल्डिंग कोड 2017 की अवहेलना कर जगह-जगह अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। सस्ते बिल्डर फ्लोर बेचने के फेर में कई बिल्डर इमारतों की क्वालिटी से भी समझौता कर रहे हैं। सस्ते घर का सपना दिखाकर लोगों को झांसे में लिया जा रहा है। ऐसे में ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद जैसा हादसा गुरुग्राम में भी हो सकता है।


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