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रियल स्टेट कंपनी के दो निदेशकों की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

करोड़ों रुपये लेने के बाद फ्लैट नहीं देने के आरोपित रियल स्टेट कंपनी के दो निदेशकों को तीस हजारी कोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसे अपराधों के आरोपितों पर रहम किया गया तो न्यायिक संस्थाओं से लोगों का विश्वास हिल जाएगा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 02:12 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 02:12 PM (IST)
घोटालों के कारण आर्थिक संकट में है देश : कोर्ट

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। करोड़ों रुपये लेने के बाद फ्लैट नहीं देने के आरोपित रियल स्टेट कंपनी के दो निदेशकों को तीस हजारी कोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने कहा कि सुशांत मुतरेजा व निशांत मुतरेजा के आर्थिक अपराधों को गंभीरता से देखने की जरूरत है, क्योंकि कई घोटालों के कारण देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि अगर ऐसे अपराधों के आरोपितों पर रहम किया गया तो न्यायिक संस्थाओं से लोगों का विश्वास हिल जाएगा। यदि राज्य की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाले आर्थिक अपराधियों को सजा नहीं दिलाई जाती है, तो पूरा समुदाय व्यथित होता है।

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उन्होंने कहा कि इन दोनों आरोपियों ने कथित तौर पर 893 पीडि़तों से देशभर में 126 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है। आरोपितों ने न तो निवेशकों को समय पर फ्लैट दिया और न ही उनसे लिए गए रुपये लौटाए। अदालत ने रिकार्ड पर लिया कि दोनों आरोपितों के खिलाफ निवेशकों की तरफ से कई एफआइआर दर्ज कराई गई थी और उन्हें 2016 में गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने कहा कि सुशांत मुतरेजा को 2017 में प्रोजेक्ट को रिवाइव करने के लिए जमानत दी थी, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका था। पुलिस के अनुसार, दोनों निवेशकों ने लोगों से जुटाए गए करोड़ों रुपयों का इस्तेमाल गाजियाबाद और उत्तराखंड में सब्सिडरी कंपनी के नाम से संपत्ति खरीदने में किया था। इतना ही नहीं दोनों निदेशकों ने प्रोजेक्ट पर काम करने का कभी प्रयास ही नहीं किया और न ही भूमि उनकी थी।

वहीं, आरोपित निदेशकों ने अधिवक्ता जनेंद्र कुमार चुमक के माध्यम से दलील दी कि उनका इरादा किसी को धोखा देने या प्रोजेक्ट में देर करने का नहीं था। वे हमेशा प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहते थे, लेकिन बाजार की खराब स्थिति के कारण वे ऐसा नहीं कर सके।


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