फेसबुक से निकाला पर्सनल डिटेल और पेटीएम में मंगवा लिए 60 हजार, जानें कैसे हुई ठगी
ठगी करने वाले आम आदमी के साथ अब पुलिसवालों को भी निशाना बना रहे हैं। शाहदरा पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
दिल्ली,जेएनएन। ठगी करने वाले आम आदमी के साथ अब पुलिसवालों को भी निशाना बना रहे हैं। शाहदरा पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान यूसुफ (24), साकिर (27) और रवि (22) के रूप में हुई है। आरोपितों के पास से चार डेबिट कार्ड, 13 मोबाइल और 10 फर्जी पहचान पत्र पर लिए गए सिम कार्ड बरामद हुए हैं।
इंस्पेक्टर को ठगने का आरोप
इस गिरोह ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में तैनात एक इंस्पेक्टर महेश कुमार को बीस हजार रुपये की ठगी की थी। पुलिस उपायुक्त मेघना यादव ने बताया कि गत 17 मई को दिल्ली पुलिस मुख्यालय में अपराध शाखा में तैनात इंस्पेक्टर महेश कुमार के पास एक कॉल आई थी। फोन करने वाले ने खुद को एसीपी संजय सिंह बताया था।
अस्पताल में भर्ती का दिया हवाला
उसने इंस्पेक्टर से कहा कि उनका एक जानकार अस्पताल में भर्ती है, उसका पर्स खो गया है। फोन करने वाले ने इंस्पेक्टर से जानकार के पेटीएम वॉलेट में कुछ पैसे डालने के लिए अनुरोध किया और अगले दिन कड़कड़डूमा कोर्ट में पैसे देने की बात कही।
तीन बार भेजे 20-20 हजार रुपये
इंस्पेक्टर ने बताए गए पेटीएम वॉलेट में तीन बार में 20 हजार रुपये भेज दिए। अगले दिन वह कोर्ट में पहुंचे और एसीपी से पैसे की मांग की तो एसीपी ने कहा कि उन्होंने पैसे के लिए फोन नहीं किया था। जिस नंबर से कॉल आई थी उस नंबर पर इंस्पेक्टर ने फोन किया तो वह बंद मिला।
वापस मिलाया फोन तब हुआ खुलासा
इसके बाद उन्हें ठगी का पता चला। उन्होंने फर्श बाजार थाने में शिकायत दी। मामले की जांच शाहदरा जिले के साइबर सेल को सौंप दी गई। करीब सात महीने बाद साइबर सेल ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को दबोच लिया। तीनों उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं।
सातवीं फेल है आरोपित
आरोपित यूसुफ सातवीं कक्षा पास है, जबकि साकिर अनपढ़ है और रवि 12वीं कक्षा पास है। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि फेसबुक और ट्रू कॉलर के जरिये लोगों के नंबर चुराते थे। महेश कुमार को फोन करने पर ट्रू कॉलर से पता चला कि वह दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर हैं।
इंस्पेक्टर के सामने बना एसीपी
इसी वजह से एसीपी बनकर बात की। इसके बाद इमरजेंसी बताकर लोगों से अपने पेटीएम वॉलेट में रुपये डलवाते थे। फर्जी पते पर सिम होने के कारण पुलिस को उन तक पहुंचने में दिक्कत होती थी। पुलिस अधिकारियों ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे इस तरह के ठगों के झांसे में न आएं। अपने डेबिट, क्रेडिट कार्ड का नंबर, सीवीवी और ओटीपी किसी को न दें। साथ ही अपने बैंक खाते से जुड़े मोबाइल नंबर को सोशल मीडिया से जोड़ने से बचें।